नाहन, 27 अक्तूबर : हिमाचल व हरियाणा में लाखों की आस्था की प्रतीक मारकंडा नदी को प्रदूषणमुक्त (Pollution free) करने की कवायद है। सीमा पर बसी औद्योगिक नगरी (Industrial Area) कालाअंब का प्रदूषण हवा में जहर घोलता रहा है। इसी बीच उद्योगों से निकलने वाला प्रवाह भी चिंता का सबब बनता रहा है। एनजीटी (NGT) ने सरकार को 31 मार्च 2021 से पहले सामान्य प्रवाहयुक्त उपचार संयंत्र (Common Effluent Treatment Plant) स्थापित करने के सख्त निर्देश दिए हुए हैं।
इसको लेकर आनन-फानन में उद्योग विभाग ने लगभग दो साल पहले निजी भू-मालिकों से 19 बीघा भूमि को 2 करोड़ 78 लाख में खरीदा था। यही भूमि अब मैसर्ज कालाअंब इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेल्पमेंट कंपनी (Infrastructure Development Company) को मात्र 1 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से 95 साल के पट्टे पर दी है। इसी को लेकर मंगलवार की मंत्रिमंडल (Cabinet) की बैठक में फैसला हुआ है। सवाल यह भी उठता है कि अब तक उद्योगों से बहने वाली गंदगी कहां जा रही थी। जानकारों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती पर कुछ उद्योगों ने संयंत्र (Plants) लगा रखे हैं। लेकिन ये कामचलाऊ (Temporary) ही हैं। अब इस संयंत्र के स्थापित हो जाने के बाद तमाम उद्योगों का प्रवाहयुक्त इंडस्ट्रियल वेस्ट (Flow industrial industrial) को इस प्लांट तक पहुंचाया जाएगा, जिसे शुद्धिकरण (Purification) के बाद खुले में छोड़ा जा सकता है।
जानकारी यह भी है कि शुरूआती चरण में इस प्लांट की लागत 19 करोड़ के आसपास थी, लेकिन अब इसे 8 करोड़ के आसपास स्थापित किया जा रहा है। इसमें 70 फीसदी भागीदारी केंद्र सरकार की होगी, जबकि 30 फीसदी खर्च उद्योगों द्वारा वहन किया जाएगा। राज्य सरकार ने अपने हिस्से के तौर पर जमीन उपलब्ध करवा दी है। उद्योगों से बहने वाला वेस्ट मारकंडा नदी को बड़े स्तर पर प्रदूषित कर रहा है। यहां तक की हरियाणा में किसानों की जमीनों पर भी उपजाऊपन कम हो रहा है। इसको लेकर कुछ साल पहले हरियाणा के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्ती भी दिखाई थी। गौरतलब है कि मारकंडा नदी का उदगम स्थल नाहन विकास खंड में बोहलियों के समीप है।
उधर, बताया यह भी जा रहा है कि प्लांट के स्थापित हो जाने से मोगीनंद से त्रिलोकपुर तक के घरेलू वेस्ट (Household Waste) को भी इस प्लांट में पहुंचाया जा सकेगा। उधर, संपर्क किए जाने पर उद्योग विभाग के महाप्रबंधक(General manager) जीएस चौहान ने कहा कि संयंत्र को 31 मार्च 2021 से पहले स्थापित करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि प्लांट के निर्माण को लेकर 2 करोड़ 78 लाख में भूमि का क्रय किया गया था।