मंडी, 20 अगस्त : 15 सालों से अधर में लटकी 24 करोड़ की पीने के पानी की योजना एक बार फिर से विवादों में आ गई है। सारा विवाद पानी के सोर्स को लेकर हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि दूसरे सोर्स से पानी उठाया जाए, लेकिन विभाग वहीं से ही पानी उठाकर विरोध को हवा दे रहा है। जल शक्ति मंत्री के गृह जिला का क्या है सारा विवाद, इस रिपोर्ट में जानिए।
जिला के पधर उपमंडल के तहत बन रही पंजौड़ पेयजल योजना 15 वर्षों के बाद फिर से बनना शुरू तो हुई, लेकिन इसपर विवाद फिर से गहरा गया है। इस योजना के पधर उपमंडल की 17 पंचायतों की लाखों की आबादी को लाभ पहुंचना है लेकिन ग्रामीण योजना के सोर्स को लेकर विरोध पर उतर आए हैं। पिछले करीब पंद्रह सालों से अधर में लटकी 24 करोड़ रुपए की इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने खुद पिछले महीने थलटूखोड़ गांव का दौरा करके निर्माण कार्य का जायजा लिया था। उन्होंने योजना के अधूरे कार्य को युद्धस्तर पर शुरू करने तथा पजौंड़ मुख्य सोर्स तक पाइपें पहुंचाने के लिए सड़क निर्माण को लेकर दस लाख रुपए की मंजूरी दी थी। लेकिन धमच्याण पंचायत के ग्रामीण पजौंड़ सोर्स से पानी न देने पर अड़ गए हैं।
इस मामले को लेकर पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने विरोध को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर दी है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और जल शक्ति विभाग पानी लेना चाहता है तो ऊहल नदी से लिफ्ट करके पानी ले जाए। पजौंड़ सोर्स के पानी लेने का ग्रामीण पुरजोर विरोध करते रहेंगे। ग्रामीणों ने साफ शब्दों में कहा है कि सरकार और महकमा निर्माण कार्य तत्काल प्रभाव से बंद नहीं करता है तो ग्रामीण उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर कार्य बंद करवाने से भी गुरेज नहीं करेंगे। ग्रामीणों के अनुसार पजौंड़ स्थित रिछुनाला सोर्स का पानी ले जाने से आने वाले समय मे धमच्याण पंचायत के दर्जनों गांवों में पेयजल किल्लत पैदा हो सकती है।
इसके साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ सरकार किसानों के उत्थान के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को चला रही है वहीं यहां के किसानों से पानी का हक छीना जा रहा है। किसानों का मानना है कि जब उन्हें पानी ही नहीं मिलेगा तो वे खेती बाड़ी के काम कैसी कर पाएंगे। वहीं पंजौंड से थल्टूखोड तक घराट व ट्राउट मछली के तालाब भी हैं जो यहां से पानी ले जाने पर समाप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं। ग्रामीण किसनों ने सरकार से पुरजोर आग्रह किया है कि पानी की सप्लाई मुख्य स्त्रोत से न ले जाकर नालडेरा से लिया जाए। इसके साथ ही ग्रामीणों ने ठेकेदार पर मनमाने ढंग से कार्य करने का आरोप भी लगाया है।
ग्रामीणों के इस विरोध से जहां आने वाले समय मे जल शक्ति विभाग की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, वहीं निर्माण कार्य को भी झटका लग सकता है। जल शक्ति विभाग पधर के अधिशाषी अभियंता ई. राजेश मोंगरा से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि कुछ लोग योजना के निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं जबकि कुछ विभाग का सहयोग दे रहे हैं। निर्माण कार्य को करवाने के लिए पुलिस का सहयोग भी लिया जा रहा है। स्पॉट पर निर्माण कार्य जारी है और फील्ड स्टाफ मौके पर हर वक्त तैनात हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में पूर्व आईपीएच मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने पधर उपमंडल की लगभग डेढ़ दर्जन पंचायतों में पेयजल किल्लत दूर करने के लिए योजना तैयार की थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने योजना का शिलान्यास किया था। उस दौरान धमच्याण पंचायत के वर्तमान प्रधान ने ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर पजौंड़ सोर्स से पानी ले जाने का विरोध किया था। इस कारण काम रूक गया था लेकिन अब जब विभाग दोबारा काम शुरू करने जा रहा है तो ग्रामीण फिर से विरोध पर उतर आए हैं।
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