बिलासपुर : घुमारवी उपमंडल के तहत गांव अमरपुर के ज्ञान चंद ठाकुर ऊर्फ ज्ञान का बकरा ऊंचे दाम पर बिका। घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। काले रंग का यह बकरा बीटल नस्ल( Beetal Goat Breed) का है, जिसकी उम्र एक साल दो महीने (14 Months) है। इसकी ऊंचाई साढ़े चार फुट और लम्बाई आठ फुट तथा वजन एक किवंटल छत्तीस किलो था, जिसे 66000 हजार रुपए में बेचा गया है। बता दें अमूमन 50 से 70 किलो के बकरे आम बात है, लिहाजा हिमाचल में करीब डेढ़ किवंटल के बकरे को साधारण नहीं माना जा सकता है।
ज्ञान चंद ठाकुर ने इस बकरे को लाड प्यार के साथ पाला, जिसे सुंदरनगर व्यापारी जागीर खांन को बेचा गया है। इस बकरे को शुरू से ही अच्छी खुराक दी जाती थी, जिसमे काले चने के साथ हफ्ते में एक दिन काजू व बादाम भी शामिल रहे। ज्ञान चंद ठाकुर पहले डेयरी फार्म चलाते थे। अब बकरियों को भी पालना शुरू किया है। ठाकुर ने बीटल नस्ल की बकरी पंजाब से खरीद कर लाई थी तथा उसकी संतान बकरे ने अपनी कीमत 66000 दिलवाई। हालांकि आपको यकीन करना मुश्किल हो सकता है कि बकरे का वजन सवा किवंटल पार कर सकता है लेकिन हकीक़त ने ऐसा हुआ है। बाजार में बकरे की कीमत वजन से ही तय होती है इसके लिए खुराक की भूमिका खास होती है।
ज्ञान चंद ठाकुर ने बताया कि शुरू से ही पशुओं से बहुत प्यार करते हैं तथा इनका पालन-पोषण भी बड़े लाड़ प्यार के साथ किया गया है, जिसे मंडी जिला के सुदंरनगर के व्यापारी को बेचा गया है। इस व्यापारी को यह बकरा काफी पंसद आया था तथा जितना दाम मांगा गया था उतना ही व्यापारी ने दे दिया गया है।
कुल मिलाकर यह नहीं कहा जा सकता कि हिमाचल में बीटल प्रजाति( Beetal Goat in Himachal) के बकरे का वजन इससे अधिक पहले रहा है या नहीं। जुटाई जानकारी के मुताबिक बीटल प्रजाति की बकरी को देश में सबसे अधिक दूध देने वाली नस्ल भी माना जाता है। सही देखभाल पर 18 महीने के भीतर इस प्रजाति का वजन 100 किलो के पार हो सकता है। इस नस्ल का केंद्र पंजाब में है। इस नस्ल के बकरे व बकरियों का जीवन 12 से 15 साल के बीच होता है।
बहरहाल अगर ज्ञान चंद ठाकुर कुछ ओर इंतजार करते तो लाडले बकरे का वजन 200 किलो भी पार हो सकता था। चूंकि इस बकरे की उम्र महज सवा साल की है, लिहाजा अपने आप में एक अदभुत बात तो है ही।
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