शिमला: दो दिन पहले एक जानकारी सामने आई। इसके मुताबिक कुल्लू में आईसीएमआर द्वारा रेंडम सैंपलिंग के जरिए एक सर्वे किया गया, ताकि यह पता किया जा सके कि वायरस का सामुदायिक फैलाव हुआ है या नहीं। 10 स्थानों पर 405 सैंपल्स के आधार पर यह खुलासा कर दिया कि कम्युनिटी स्प्रैड नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि एक ऐसे ही जिला को क्यों चुना गया, जहां पहले ही कोरोना का कहर नहीं था। ऊना सबसे पहले हॉटस्पॉट बना। इसके बाद छोटा सा जिला हमीरपुर भी चपेट में है। वहीं प्रदेश के सबसे बड़े जिला को लेकर भी चिंता है।
सोमवार को बीबीएन में एक साथ 19 मामलों ने विभाग के होश उड़ा दिए। बच्चों, युवाओं व बुजुर्गों इस सूची में शामिल थे। हमीरपुर व ऊना के अलावा बिलासपुर में परिवारों के 5 से 7 सदस्य संक्रमित पाए गए थे। जून के महीने में कोरोना का संकट बढ़ा है। इससे खुद सरकार भी इंकार नहीं कर सकती। बहरहाल, यह साफ करना जरूरी है कि राज्य में कम्युनिटी स्प्रैड को लेकर कोई बड़ा खतरा अब तक महसूस नहीं हो रहा, मगर ऐसे जिलों में सर्वे करवाने में भी क्या हर्ज है, जहां लगातार मामलों में इजाफा हो रहा है। चंबा का ताजा उदाहरण दिया जाए तो एक 16 साल के लड़के की मौत के बाद उसके कोरोना संक्रमित होने का खुलासा हुआ।
ऊना में 11 कंटेनमेंट जोन बन चुके हैं। अनलॉक-1 में जमकर छूट मिलनी शुरू हो गई है। एक्टिव केस फाइंडिंग में राज्य सरकार ने केंद्र से खूब वाहवाही तो हासिल की थी, अब सवाल यह भी उठता है कि राज्य सरकार कम्युनिटी स्प्रैड की आशंका को लेकर अपने स्तर पर एडवांस तैयारी क्यों नहीं कर रही। बद्दी, कालाअंब व पांवटा साहिब औद्योगिक क्षेत्रों के प्रवासी श्रमिकों के भी संक्रमित होने के मामले अब सामने आने लगे हैं। कुल मिलाकर सरकार को यह तय करना है कि इकनोमी को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है या संक्रमण को लेकर अनुपात 50ः50 का करना है।
पाठकों को बता दें कि इस समाचार में अगर सरकार कोई प्रतिक्रिया जाहिर करती है तो प्रमुखता से आपसे साझा की जाएगी।