शिमला : कोरोना के कहर के बीच 72 दिनों के बाद हिमाचल प्रदेश में सोमवार को बस सेवा आरंभ हुई। राज्य के विभिन्न जिलों में अधिकांश रूटों पर एचआरटीसी की बसें दौड़ती दिखाई दीं। प्राइवेट बसें महज 15 फीसदी ही चलीं। यात्रियों ने पहले दिन बसों में सफर करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। बहुत ही कम तादाद में यात्रियों ने बसों में यात्रा की। एचआरटीसी की लंबे रूट की बसों में तो चार से पांच यात्री ही सफर करते पाए गए। कुछ बसों में तो चालक व परिचालक के अलावा एक ही यात्री की मौजूदगी रही। यही वजह रही कि प्राइवेट आपरेटरों की पहले दिन महज 15 से 20 फीसदी तक ही बसों की आवाजाही हो पाई। राज्य सरकार ने 60 फीसदी क्षमता के साथ बसों को चलाने के आदेश दिए हैं।
प्राइवेट बस यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पराशर ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद आज से प्राइवेट बसो की आवाजाही शुरू हो गई, लेकिन मुसाफिर कम होने से कम बसें सड़कों पर उतरीं। प्राइवेट आपरेटर बसें चलाने को तो तैयार हैं, लेकिन कम यात्रियों की चलते बसों को चलाने में दिक्कत आ रही है। आगामी दिनों में भी यात्रियों के नहीं जुटने से कम ही बसें चलेंगीं।
उधर, राजधानी शिमला व साथ लगते ग्रामीण क्षेत्रों व वार्डों में लगभग 250 बसें चली। शहर के बीच 350 ट्रिप बसों ने लगाए और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने में सुविधा दी। शिमला शहर में 106 प्राईवेट बसों में मात्र 20 बसें ही सड़कों पर दौड़ीं। यह बसें सुबह के समय चली वहीं दोपहर को यात्रियों की संख्या को लेकर बसों की आवाजाही बंद हो गई। शहर के अन्य रूटों पर एच.आर.टी.सी की बसें तो चलती रही लेकिन इन बसों में भी दो से तीन ही सवारियां चढ़ी। बस सर्विस के पहले दिन एच.आर.टी.सी व परिवहन विभाग के अधिकारी फील्ड में मौजूद रहे और शहर में आने जाने वाली बसों में सोशल डिस्टैसिंग बनाए रखने को लेकर निरीक्षण किए। पुराना बस स्टैंड, लक्कड़बाजार और आई.एस.बी.टी में दिन भर पुलिस का पहरा रहा। बस स्टैंड में एंट्री व एग्जिट की व्यवस्था बनाई गई। जिसमें यात्रियों ने एक जगह से एंट्री की और दूसरी जगह से बाहर निकले। बस स्टैंड में आने वाले हर व्यक्ति थर्मल स्कैनिंग भी की गई।