शिमला : राजधानी के एक बड़े सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही के गम्भीर आरोप लगे हैं। अस्पताल में गुरुवार की अल सुबह पैदा हुए नवजात को डॉक्टरों ने मृत बताकर डेड ट्रे में रख दिया। करीब 9-10 घण्टे बाद जब डॉक्टर जीवित नवजात को मृत बताकर परिजनों को सौंपने लगे तो नवजात रोने लग गया। मामला शिमला स्थित राज्य के एकमात्र मातृ शिशु अस्पताल केएनएच का है। अस्पताल प्रबंधन ने मामले की गम्भीरता के मद्देनजर जांच कमेटी गठित कर तफ़्तीश शुरू कर दी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन दिन पहले कुल्लू की राजकुमारी को प्रसूति दर्द शुरू हुआ। राजकुमारी को उसके पति विजय कुमार नेर चौक अस्पताल ले गए जहां से उसे केएनएच रैफर किया गया। दो दिन पहले राजकुमारी को केएनएच में दाख़िल किया गया। विजय कुमार के मुताबिक गुरुवार तड़के करीब 3 बजे उसकी पत्नी ने बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों की तरफ से बताया गया कि नवजात बच्ची की धड़कन ठीक नहीं आ रही है, और इसका भार भी काफी कम है। डाक्टरों ने हस्ताक्षर करने को कहा और साथ में बताया कि उसका बचना मुश्किल है। डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर डेड ट्रे में रख दिया।
दोपहर बाद जब डॉक्टरों ने नवजात बच्ची के शव को ले जाने के लिए परिजनों को बुलाया और डेड ट्रे से निकाला, तो बच्ची रोने लग गई। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद बच्ची के पिता विजय कुमार परेशान हो गए। उस समय स्थानीय विधायक व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज केएनएच अस्पताल में कोरोना वायरस की तैयारियों का जायजा ले रहे थे। विजय कुमार ने अस्पताल के एमएस के समक्ष मंत्री को घटनाक्रम से अवगत करवाया। विजय कुमार ने इतनी बड़ी लापरवाही की जांच के बाद दोषी डॉक्टर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग उठाई।
उधर, केएनएच की एमएस डॉक्टर अंबिका चौहान ने बताया कि यह बेहद गम्भीर मामला है। इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है। डॉक्टरों की लापरवाही पाए जाने पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बता दें कि केएनएच अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। 4 साल पहले इस अस्पताल में नवजात बच्चों के अदला-बदली का मामला खूब सुर्खियों में रहा था। कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला सुलझ पाया था।