सराहां : हौंसले व कड़ी मेहनत की बदौलत सपनों को साकार किया जा सकता है, जुनून को हकीकत में बदला जा सकता है। इस बात को पच्छाद विकासखंड की बाग पशोग के घरगौण के शुभम शर्मा ने साबित कर दिखाया है। बचपन से आइटीबीपी में कार्यरत पिता मदन शर्मा की यूनिफार्म देखकर उत्साहित होते थे। मन ही मन वर्दी पहनने का जुनून पैदा हो गया। ऐसा माना जाता है कि सेना या अर्ध सैनिक बलों में तैनात लोग अपने बच्चों को फौज में नहीं भेजना चाहते। वर्दी से दूर रखकर अन्य विकल्प सोचते है।
शायद ऐसा ही शुभम के साथ भी गुजरा। सराहां के एसवीएन एसवीएन स्कूल से दसवीं के पढ़ाई करने के बाद नाहन का रुख किया। आदर्श विद्या निकेतन स्कूल से जमा दो की शिक्षा के बाद शुभम को होटल मैनेजमेंट इंस्टिच्यूट कुफरी भेज दिया गया। कोर्स पूरा करने के बाद होटल इंडस्ट्री के ग्लैमर वर्ल्ड में शुभम ने मंसूरी में नौकरी भी शुरू कर दी, लेकिन वह वर्दी पहनने का सपना ही मन में बिठाए हुए था। 2017 में पुलिस व फॉरेस्ट गार्ड के पद पर सफलता अर्जित कर ली, फिर शुभम को यह बताया गया कि पुलिस में रहकर वह परीक्षाओ की तैयारी नहीं कर पाएगा। लिहाजा शुभम ने फॉरेस्ट गार्ड बनकर तैयारी शुरू कर दी।
24 साल के शुभम की सफलता इस कारण भी अलग हो जाती है क्योंकि वनरक्षक के पद पर उनकी तैनाती किन्नौर के रोगी में हो गई, जहां ग्राउंड की प्रैक्टिस संभव नहीं थी। लिहाजा तड़के अपने दोस्त के साथ रोजाना 4 किलोमीटर बाइक का सफर तय कर कल्पा पहुंचकर शारीरिक परीक्षा की तैयारी में जुटते थे। ड्यूटी के साथ-साथ परीक्षा इस कारण भी चुनौती हो गई थी क्योंकि ट्राईबल एरिया में बिजली व कनेक्टिविटी की अक्सर ही समस्या पैदा हो जाती थी। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि ड्यूटी के साथ-साथ 6 से 8 घंटे का वक्त तैयारी का निकालना पड़ता था। उन्होंने बताया कि एचएएस की तैयारी का फायदा इस परीक्षा में हासिल हुआ।
शुभम का यह भी कहना था कि लक्ष्य पर निशाना साधने का जज्बा होना चाहिए, सफलता तो आपके कदम चूमने को बेकरार होती है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता मदन शर्मा व कांता शर्मा के इलावा शिक्षकों को दिया है। उल्लेखनीय है कि शुभम सराहां विकास खंड के दूसरे युवक है, जिन्होंने सब इंस्पेक्टर के पद पर सफलता अर्जित की है। उल्लेखनीय है कि इस परीक्षा में एक दर्जी के बेटे ने भी सफलता पाई है।