नाहन: भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान-इसरो की दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में भूगोल के सहायक आचार्य डॉ. जगदीश चंद ने समूचे देश में अपनी प्रतिभा का जबरदस्त डंका बजाया है। 3 व 4 मार्च को आईआईआरएस का सम्मेलन देहरादून में आयोजित हुआ। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के समन्वय के लिए डॉ. जगदीश चंद को देशभर में प्रथम स्थान मिला, जबकि गुजरात व केरल को क्रमश: द्वितीय व तृतीय स्थान हासिल हुआ।
मूलतः गिरिपार क्षेत्र के संगड़ाह उपमंडल के कजवा गांव से संबंध रखने वाले डॉ. जगदीश चंद का स्वभाव बेहद ही साधारण व मिलनसार है। स्टुडेंटस के साथ गजब की बॉडिंग है। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली को लेकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय व बीएचयू में भी केंद्र हैं। नवोदय स्कूल से पढ़े डॉ. जगदीश चंद ने नाहन महाविद्यालय से ही अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद हिमाचल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। एमए व एमफिल में गोल्ड मैडल के साथ दर्जनों शोधपत्र राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हो चुके हैं। दिसंबर माह में डॉ. जगदीश चंद का तबादला पांवटा महाविद्यालय में हुआ है।
डॉ. चंद ने शिक्षा प्रणाली को नाहन महाविद्यालय में दो सालों से जोड़ रखा है। कड़ी मेहनत व लग्न से मुकाम हासिल किया है। गौरतलब है कि आईआईआरएस व इसरो हर वर्ष उच्चतम समन्वय के लिए पूरे भारत से शीर्ष संस्थानों का चयन करता है। दो सालों में डॉ. चंद ने 34 कोर्स व कार्यशालाओं का सफल आयोजन किया। इसी की बदौलत उन्हें यह सम्मान हासिल हुआ है। उपलब्धि का श्रेय डॉ. चंद ने महाविद्यालय के छात्रों व अध्यापकों को दिया है।
उन्होंने नाहन महाविद्यालय के वर्तमान प्रधानाचार्य डॉ. दिनेश भारद्वाज व पूर्व प्राचार्या डॉ. वीना राठौर व भूगोल विभाग के प्रोफैसर जगमोहन सिंह का आभार प्रकट किया है। मार्गदर्शन के लिए नेम चंद ठाकुर, डॉ. बलदेव नेगी, प्रो. राजेंद्र कुमार, डॉ. जितेंद्र साहनी व नरेंद्र कुमार का निरंतर सहयोग मिलने पर भी दिल की गहराईयों से आभार जताया है।