मंडी : आईए आज आपको मिलाते हैं, मंडी जनपद के 90 वर्षीय उस बुजुर्ग से जिनके हाथों से पगड़ी बंधवाने के लिए होड़ लगी रहती है। 90 वर्षीय भगत राम बीते 70 वर्षों से लोगों के सिरों पर ताज सजाने का काम कर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के सिरों पर भी भगत राम कई बार पगडि़यां बांध चुके हैं। पगड़ी, जिसे सिर का ताज कहा जाता है। यह ताज जिस किसी के सिर पर सजता है उसकी शान ही अलग हो जाती है।
पगड़ी की क्या शान होती है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लिजिए कि खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर पगड़ी बांधकर शामिल होने आते हैं। लेकिन इस ताज को सिर पर सजाना कोई आसान काम नहीं होता। पगड़ी बांधना अपने आप में एक कला है और इस कला में माहिर हैं, बल्ह उपमंडल के दरबाथू गांव निवासी 90 वर्षीय भगत राम। भगत राम ने मात्र 20 वर्ष की आयु में अपने बुजुर्गों से इस कला को सीखा और इसमें महारत हासिल की।
भगत राम बताते हैं कि पहले किसी शादी समारोह या बड़े उत्सवों में जाने वालों की तब तक इज्जत नहीं होती थी जब तक वह सिर पर पगड़ी बांधकर नहीं आते थे। हालांकि आज पगड़ी की जगह रेडिमेड टोपियों ने ले ली है लेकिन फिर भी पगड़ी बांधने का रिवाज बरकरार है। भगत राम के अनुसार उन्हें 70 वर्ष हो चुके हैं लोगों के सिरों पर पगड़ी के रूप में ताज सजाते हुए। इस दौरान भगत राम सीएम जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह और प्रो. प्रेम कुमार धूमल के सिरों पर भी पगडि़यां बांध चुके हैं। वहीं इलाके में जब भी कोई शादी समारोह होता है तो भगत राम को विशेष रूप से पगडि़यां बांधने के लिए बुलाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में भगत राम को विशेष रूप से पगडि़यां बांधने के लिए बुलाया जाता है और उनके हाथों से पगड़ी बंधवाने वालों की होड़ लगी रहती है। पगड़ी सही ढंग से बंधे और उसकी एक अलग शान नजर आए, इसलिए लोग इनके हाथों से पगड़ी बंधवाने का इंतजार करते हैं। खास बात यह है कि मंडी की भावी पीढ़ी भी पगड़ी बांधने की कला को सीखने में खासी दिलचस्पी दिखा रही है। 24 वर्षीय लेख राज बताते हैं कि उन्होंने पगड़ी बांधने की कला अपने बुजुर्गों से सीखी और वह आगे भावी पीढ़ी को इस कला को सिखाने का प्रयास करेंगे।
बता दें कि जनपद के अधिकतर स्थानों पर बड़े समारोहों में पगड़ी बांधने का रिवाज आज भी कायम है। हालांकि आजकल रेडिमेड पगड़ी टाईप टोपियों का प्रच्चलन भी शुरू हो गया है लेकिन कपड़े से बांधी गई पगड़ी की अपनी एक अलग ही पहचान और शान है।
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