मंडी : क्या आपने कभी गोबर से बनी चप्पलों के बारे में सुना है। शायद आपको सुनकर अजीब सा लगे क्योंकि आज तक ऐसा कोई उत्पाद ही नहीं बना था, लेकिन देसी गाय के गोबर से बनी चप्पल का निर्माण हो चुका है। यह चप्पल विश्व की पहली गौमयी चरण पादुका बताई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इसे प्रदर्शित किया गया है, जहां यह लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। गोबर से बनी चप्पल के बारे में सुनते ही हर कोई हैरान हो जाता है, लेकिन यह एकदम सच है। शहर में जारी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में लगी विभागीय प्रदर्शनियों में पशु पालन विभाग ने इसे प्रदर्शित किया है। चप्पल को हरियाणा के रोहतक की वैदिक प्लास्टर नामक संस्था ने बनाया है।
कहा जा रहा है कि यह चप्पल कोई साधारण चप्पल नहीं बल्कि इसे पहनने वाले व्यक्ति को यह चप्पल कई बीमारियों से बचाती है। श्री बंशी गौधाम काशीपुर उतराखंड ने इसे प्रमाणित भी किया है। वैदिक प्लास्टर संस्था के डिस्ट्रीब्यूटर कर्ण सिंह ने बताया कि इस चप्पल को “गौमय चरण पादुका” का नाम दिया गया है। इसे पहनने पर व्यक्ति के बीपी का बढ़ना व कम होना नियंत्रित रहेगा। मांसपेशियों में खिचाव से मुक्ति मिलेगी और मानसिक बीमारियों से बचाव होने के अलावा बेचौनी, चिड़चिड़ापन में भी गोबर से बनी पादुकाएं कारगर साबित होंगी। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क दिया गया है कि गोबर में जीवाणुनाशक व विषाणुहर शक्ति विद्यमान है। आधुनिक विज्ञान ने भी गोबर के इस गुण को माना है। रोगों के कीटाणु व दूषित गन्ध को नष्ट करने में गोबर अद्वितीय है।
चरण पादुका को बनाने के लिए गोबर को छानकर उसमें नेचुरल ऑयल को मिलाया गया है। सूखने पर इस आयल मिश्रित गोबर को मशीन में प्रेस करके चरण पादुका का आकार दिया गया है। कर्ण सिंह ने बताया कि वैदिक चरण पादुका को अभी केवल प्रदर्शित किया गया है। लोगों की मांग के अनुसार यह उन्हें मुहैया करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि इस चप्पल की कीमत 700 रूपये तय की गई है। स्टाल में गोबर से निर्मित अन्य उत्पाद भी प्रदर्शित किए गए हैं जोकि आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
जानकारी हासिल करने के बाद लोग इसकी मांग डिस्ट्रिीब्यूर कर्ण सिंह को दे रहे हैं। स्टॉल में गोबर से निर्मित नेचुरल कलर जिन्हें होली या घर की दीवारों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। गोबर से बनी डायरी, शगुन कार्ड, धूप समेत अन्य कई उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। इसके अलावा प्रदर्शनी में ट्रायल बेस पर वैदिक ईंट भी रखी गई है। इसे भी देशी गाय के गोबर से तैयार किया गया है। ईंट के सफल ट्रायल के बाद इसे लांच किया जाएगा। वहीं इन उत्पादों को देखने के लिए आने वाले लोग भी इन्हें देखकर खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं। क्योंकि लोगों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि गोबर से इस प्रकार की वस्तुओं का निर्माण हो सकता है।
स्थानीय निवासी सीमा ने बताया कि गोबर से बनी पादुकाएं देखकर वह काफी प्रभावित हुई हैं। ज्ञात रहे कि गाय को गौमाता का दर्जा हासिल है और गाय के गोबर व गौमूत्र से कई प्रकार की दवाईयों को निर्माण भी किया जाता है। गाय का मल कई प्रकार से उपयोग में लाया जाता है और इसका नया उपयोग शिवरात्रि महोत्सव में प्रदर्शित किया गया है।