घुमारवीं : हिमाचल प्रदेश में मनाई जाने वाली लोहड़ी यानी मकर संक्रांति आज भी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, लेकिन आज इसकी परंपरागत शैली मानो खत्म होने की कगार पर हैं। 20 से 25 साल पहले लोहड़ी से आठ दिन पहले बच्चों के झूंड ग्रामीण इलाकों में घर घर जा कर लोहड़ी गाया करते थे। लोगों को भी लोहड़ी का बहुत इंतजार रहता था। बच्चों को लोहड़ी गाने के बाद मक्की,गेहूं, मूंगफली, तिलचौली व मिठाई बांटी जाती थी।
मगर आज के समय में लोहड़ी गाने की यह प्रथा मानो लुप्त हो गई है। लोहड़ी में सबसे बच्चियों व लड़कियों द्वारा गाई जाने वाली लोहड़ी पसंद की जाती थी। जो बेहद मधुर तरीके से गाई जाती थी। लड़कियां सूर्य छिपने के बाद अपने आस-पड़ोस के घरों में जाकर लोहड़ी थी। इसकी एक झलक घुमारवीं उपमंडल के नैण गांव में लड़कियों द्वारा पेश की गई है जो सोशल मीडिया पर काफी पंसद की जा रही है।
गांव के समाजसेवी मनीष शर्मा ने बताया कि लोहड़ी गाने की यह परंपरा अब समाप्त हो गई है। गांव की इन छोटी-छोटी बच्चियों द्वारा इस तरह लोहड़ी का गाया जाना हमारी संस्कृति को बचाने की एक अनूठी पहल है। क्योंकि आधुनिक समय की चकाचौंध में हम अपनी परंपरागत शैली भूल रहे हैं जो बहुत ही दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है।
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