शिमला : पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रधान निजी सचिव रहे सुभाष आहलुवालिया की पत्नी मीरा वालिया को लोक सेवा आयोग में सदस्य के पद पर नियुक्ति देने को चुनौती देने वाली याचिका को प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा है कि मीरा वालिया की नियुक्ति करते समय भारतीय संविधान द्वारा किए गए सिद्धांतों की पूर्णतया पालना की गई है। भले ही मीरा वालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी, मगर शिमला की विशेष अदालत द्वारा उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया गया है।
स्पेशल जज द्वारा पारित निर्णय को किसी भी न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी गई है। इन तथ्यों के दृष्टिगत हाई कोर्ट ने पाया कि प्रार्थी उपरोक्त याचिका को लेकर कोर्ट के समक्ष स्पष्ट छवि, स्वच्छ आत्मा व स्वच्छ मन से नहीं आया है। मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने उपरोक्त आदेश में स्पष्ट किया कि यह याचिका कॉस्ट के साथ खारिज की जाने योग्य है। मगर प्रार्थी को कानून का विद्यार्थी होने व कानून का पालन करने वाला नागरिक पाते हुए उस पर कॉस्ट लगाने के आदेश पारित नहीं किए।
उल्लेखनीय है कि मीरा वालिया पर आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लग चुके हैं। इसको लेकर उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई थी। विशेष जज शिमला की अदालत के समक्ष चालान भी पेश किया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि कानून के सारे प्रावधानों को दरकिनार रखते हुए मीरा वालिया की नियुक्ति की गई है।