शिमला: अगर आपको याद होगा तो मोदी सरकार की पहली पारी में प्रोटोकॉल को लेकर विशेष व्यवस्था की गई थी। अक्सर मंच से खासकर सरकारी कार्यक्रम में संबोधन के दौरान प्रोटोकॉल की काफी अहमियत रहती है। कार्यक्रम में पद के तहत क्रमवार तरीके से संबोधन होता है। मुख्यातिथि का सबसे आखिर में संबोधन होता है।
शुक्रवार को रिज मैदान पर आयोजित जयराम सरकार की जन आभार रैली ने प्रोटोकॉल को लेकर कुछ सवाल खडे़ किए हैं। यहां बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से पहले सूबे के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जनता को संबोधित किया। मंच पर नड्डा की मौजूदगी में जब पहले सीएम को आमंत्रित किया गया तो यह भी प्रतीत हो रहा था कि नड्डा ने संबोधन नहीं करना होगा। लेकिन नड्डा ने सीएम के बाद संबोधन किया तो प्रोटोकॉल को लेकर चर्चा लाजमी थी। इस घटनाक्रम के बाद यह चर्चा हो रही है कि बीजेपी के प्रोटोकॉल में पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष किसी राज्य के मुख्यमंत्री से ऊपर होता है।
सवाल इस बात पर भी उठा है कि क्या इस तरह की स्थिति बीजेपी शासित अन्य राज्यों में भी होती है या नहीं। मंच पर जब अमित शाह व नड्डा सामने जनता को हाथ फैलाकर अभिनंदन कर रहे थे तो उस समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पिछली तरफ खडे़ हुए नजर आए। दीगर है कि प्रोटोकॉल को लेकर कार्मिक विभाग की जिम्मेदारी होती है। रैली से पहले प्रोटोकॉल को लेकर कोई चर्चा हुई या नहीं, इस बात को लेकर स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। गृह मंत्री के मंच पर पहुंचने के बाद केवल चार लोगों ने ही संबोधन किया।
स्थानीय विधायक होने के नाते सुरेश भारद्वाज ने सबसे पहले संबोधन दिया। इसके बाद अनुराग ठाकुर ने अपने मन की बात कही। फिर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मंच पर आमंत्रित किया गया। इसके बाद जेपी नड्डा बोले। आखिर में अमित शाह का संबोधन हुआ। देश में राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति प्रोटोकॉल में सर्वश्रेष्ठ दो स्थानों पर रहते हैं। तीसरा स्थान प्रधानमंत्री का होता है। अपने-अपने राज्यों में राज्यपाल अगले स्थान पर आते हैं। पांचवे स्थान पर पूर्व राष्ट्रपति के बाद उप प्रधानमंत्री का रुतबा होता है। छठे स्थान पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया व लोक सभा का स्पीकर रहता है। फिर केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ अपने-अपने राज्य में मुख्यमंत्री, प्लानिंग कमीशन के डिप्टी चेयरमैन, पूर्व प्रधानमंत्री व राज्य सभा व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होते हैं।
बहरहाल, अगर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को कैबिनेट रैंक है तो उस सूरत में भी कन्फ्यूजन यह है कि वो जब स्वतंत्र तौर पर मंत्री नहीं हैं तो प्रोटोकॉल में सीएम से ऊपर कैसे आ सकते हैं। बताते हैं कि राष्ट्रपति के सचिवालय द्वारा 26 जुलाई 1979 को जारी की गई प्रोटोकॉल की सूची में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है।
उधर ऐसी भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री ने स्वयं ही नड्डा के बाद संबोधन को लेकर सहमति दी थी। दीगर बात यह है कि मंच पर कौन बैठेगा, कौन बोलेगा, कौन मुख्यातिथि के साथ जनता का अभिवादन करेगा, यह सब कुछ दिल्ली से ही तय होना था। कुल मिलाकर रिज मैदान की रैली को लेकर अगर सरकार द्वारा कोई प्रतिक्रिया जाहिर की जाती है तो प्रमुखता से प्रकाशित की जाएगी।
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