पांवटा साहिब : पड़ोसी राज्य हरियाणा ने घाटी के किसानों की उपज को मंडियों में खरीदने से इंकार किया है। इसको लेकर प्रतिबंध भी लगाया गया है। इस मामले पर हिमाचल किसान सभा की सिरमौर इकाई भड़क गई है। आरोप लगाया है कि राज्य सरकार मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है। घाटी को हिमाचल के धान का कटोरा की संज्ञा भी दी जाती है। सभा का कहना है कि इससे घाटी के अलावा नाहन के समीपवर्ती क्षेत्रों के किसानों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
आरोप यह भी है कि हरियाणा में भाजपा की सरकार बनते ही 27 अक्तूबर से हिमाचल के किसानों का धान मंडियों में आढ़ती फर्जी नाम से खरीद रहे हैं। साथ ही खुलेआम लूट हो रही है। सभा का आरोप है कि हरियाणा सरकार भी अपने आढ़तियों को खुलेआम दोहरी लूट करने की आजादी दे रही है। राज्य सरकार किसी भी प्रकार की धान विपणन व्यवस्था नहीं कर रही। सभा ने मांग की है कि राज्य सरकार भी हरियाणा व पंजाब की तर्ज पर फसलों को खरीदने के साथ बोनस भी दे।
सभा ने चेतावनी दी है कि यदि गेहूं खरीद को हरियाणा व पंजाब की तर्ज पर नहीं किया गया तो जबरदस्त आंदोलन खड़ा किया जाएगा। धान के अलावा गन्ने की फसल पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पांवटा घाटी में लगभग 4 हजार हैक्टेयर पर गन्ना उत्पादन होता है। औने-पौने दामों पर उत्तर प्रदेश के ठेकेदार गन्ना खरीद रहे हैं। गुड का कई अधिक दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। करीब दो लाख किलो गन्ने की खरीद डोईवाला मिल करती है। सभा के मुताबिक पांवटा के विधायक सुखराम चौधरी व उत्तराखंड के विकास नगर के विधायक मुन्ना चौहान के नेतृत्व में तत्कालीन उत्तराखंड के गन्ना मंत्री स्व. प्रकाश पंत से भी मुलाकात की गई थी। 2019-20 में पुनः संकट पैदा हो गया है। सभा ने यह भी चेतावनी दी है कि किसान मजबूरन ही कानून को हाथ में लेने पर विवश हो जाएंगे।
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