हमीरपुर : अगर खीर खाने से अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी ठीक हो जाए तो आप क्या कहेंगे। जी हाँ ऐसा ही चमत्कार हमीरपुर में करीब 20 सालों से होता आ रहा हैं। हमीरपुर के गांव लंबलू में प्राचीन शनिदेव मंदिर में हर वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाई जाती हैं। रात को चांद की रोशनी में रख दी जाती हैं। अगले दिन अस्थमा के मरीजो को दी जाती हैं।
मरीज को इससे तुरंत अराम मिलता है। शरद पूर्णिमा के इस दिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। वजह चमत्कारी खीर हैं। शरद पूर्णिमा के अवसर पर चमत्कारी खीर मिलती हैं। लोगों का मानना हैं कि खीर खाने से दमा, खांसी, अस्थमा, पुरानी एलर्जी की बीमारी से निजात मिलती है। खीर में मिली आयुर्वेदिक दवाई खाने के लिए साल भर लोग इंतजार करते हैं।
यही कारण हैं कि जैसे ही शरद पूर्णिमा आती हैं तो खीर का सेवन करने के लिए सुबह से ही मंदिर में भीड़ जमा हो जाती है। खीर खाने के लिए पूरे हिमाचल समेत बाहरी राज्यों से भी लोग आज के दिन मंदिर में आते हैं। 13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इस बार भी शनिदेव मंदिर परिसर में 14 अक्टूबर को खीर के साथ दवाई खिलाई जाएगी जिसके लिए तैयारियां जोरों से चली हुई हैं।
इस खीर को बनाने की विधि अब भी रहस्य..
इस खीर में पडऩे वाली विधि को बनाने के बारे में जब पूछा गया तो यह कहकर मना कर दिया गया कि अगर इसका रहस्य खुल गया तो इस खीर के सारे गुण नष्ट हो जाएंगे। बस यह बताया गया कि इस खीर को शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखा जाता है। कहते है कि इस दिन चांद की रोशनी में चमत्कारी किरणें उत्पन्न होती हैं। जो इस खीर में विलीन हो जाती हैं।
बढ़ता है औषधियों का प्रभाव
एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा पर औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती हैं। यानी औषधियों का प्रभाव बढ़ जाता हैं। रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता हैं। तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती हैं। लंकाधिपति रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी। चांदनी रात में 10 से मध्यरात्रि 12 बजे के बीच कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती हैं। सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता हैं और बसंत में निग्रह होता हैं।
क्या हैं वैज्ञानिक सोच….
वैज्ञानिकों के अनुसार दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता हैं। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और भी आसान हो जाती हैं। इसी कारण ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात्रि में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया हैं। इस खीर का सेवन सेहत के लिए महत्वपूर्ण बताया हैं। इससे पुनर्योवन शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती हैं। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित हैं।