पांवटा साहिब : विकास खंड के सिरमौरी ताल गांव में पेयजल स्त्रोत के नजदीक विशालकाय सांप के निकलने से लोगों में दहशत पैदा हो गई। वाकया, बुधवार सुबह का है। ग्रामीणों को जब सुबह पानी की सप्लाई नहीं हुई तो उन्होंने पेयजल स्त्रोत के नजदीक जाकर पड़ताल की। इस दौरान उन्हें पानी के पाइप में करीब 8 फुट लंबा सांप दिखाई दिया। जैसे ही ग्रामीणों ने उसे निकालने का प्रयास किया तो उन्हें महसूस हुआ कि सांप पाइप में फंसा हुआ है। आनन-फानन में लोगों ने उसे छोटे डंडों के साथ कुरेद कर बाहर निकालने का प्रयास किया।
कई घंटों की मशक्कत के बाद जब सांप को बाहर निकाला गया तो वह मर चुका था। ग्रामीण इस बात को लेकर क्षुब्ध नजर आए कि पेयजल स्कीम के कर्मचारी पानी छोड़ने के अलाव अपने अन्य दायित्वों का निर्वहन मुस्तैदी से नहीं करते। सही तरीके से पानी का क्लोराइजेशन व ब्लीचिंग पाउडर डालने का काम भी नहीं होता। पानी छोड़ने के बाद ये कर्मचारी इधर-उधर हो जाते हैं, जिसके चलते लोगों को दूषित पेयजल पीने को मजबूर होना पड़ता है।
विभाग के कर्मचारी इस बात की तरफ बिलकुल भी ध्यान नहीं देते कि पेयजल स्त्रोत के समीप गंदगी तो नहीं है। कई बार फिल्टर में फंसने के बाद इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं। इससे पहले पांवटा साहिब में भी इस प्रकार की घटनाएं घट चुकी हैं। पांवटा घाटी में गर्मी व उमस के कारण जहरीले रेंगने वाले जीव अक्सर पानी के स्त्रोत में घुस जाते हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को इस बारे में दिशा-निर्देश दिए जाएं। विभाग के उच्चाधिकारी समय-समय पर पेयजल योजनानाओं का निरीक्षण करें, ताकि लोगों को गंदे पेयजल से निजात मिल सके। इससे जहां उन्हें स्वच्छ पेयजल मिलेगा, वहीं जलजनित बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी।
वहीं इस मामले में आईपीएच विभाग के एक्सईएन अश्वनी धीमान का कहना है कि सिरमौरी ताल में जिस स्थान से सांप मिलने की घटना सामने आई है, उससे पेयजल स्कीम का कोई लेना-देना नहीं है। यह घटना प्राचीन बावड़ी में पेश आई है जो कि जंगल के बीच खुले में स्थित है। यहां इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं। विभाग ट्रीटेड पीने का पानी सप्लाई करता है। जहां से पेयजल सप्लाई की जाती है, वह जगह पूर्ण रूप से ढक्कन से पैक है। सील लगी हुई है। ग्रामीणों चाहते हैं कि बावड़ी की रिपेयर की जाए, इसका बजट विभाग के पास नहीं है।