एमबीएम न्यूज़/शिमला
250 करोड़ रूपये के बहुचर्चित छात्रवृति घोटाले में एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच एजेंसी सीबीआई के राडार पर निजी शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ शिक्षा विभाग के तत्कालीन अफसर व नेताओं के रिश्तेदार भी रहेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई की एफआईआर में कई बड़े नामी शिक्षण संस्थानों का उल्लेख है।
अब इस मामले में सीबीआई शिक्षा निदेशालय, निजी शिक्षण संस्थानों व राष्ट्रीयकृत बैंको से मामले से जुड़ा रिकार्ड कब्जे में लेगी। इसके बाद हिमाचल सहित बाहर के प्रदेशों में सीबीआई छापेमारी का क्रम शुरू कर सकती है। सीबीआई जांच शुरू होते ही करोड़ो के इस छात्रवृति घोटाले के भ्रष्टाचार के खेल में शिक्षण संस्थानों के प्रबंधको के अलावा कुछ राजनेता और सरकारी महकमे के कई बढ़े आलाधिकारी भी बेनकाब हो सकते है।
सीबीआई के हाथ अगर बढ़े मगरमच्छो के गिरेबान तक पहुचे तो भ्रष्टाचार का नाकाब ओढ़े बैठे कई उच्च अधिकारियों का नाकाब भी हट जाऐगा। ऐसे में जाहिर है कि कई बडे शिक्षण संस्थान की धुकधुकी तो अब बढ़ ही गई होगी । चूंकि पहले जब पुलिस ने शिक्षा विभाग की शिकायत के आधार एफआईआर दर्ज की थी, उसमें भी कुछ निजि शिक्षण संस्थानों के नामों का उल्लेख किया गया था।
सीबीआई ने पिछले कल आईपीसी की धाराओं 409,419,465,466,471 के तहत केस दर्ज किया है। राज्य सरकार ने विगत वर्ष यह मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया था। पिछले कई महीनों से सीबीआई इस मामले की गहन पड़ताल कर रही थी। छात्रवृत्ति घोटाले में कई बड़े नामी निजी शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं। इनमें प्रदेश से ही नहीं बल्कि प्रदेश से बाहर के शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 से लेकर साल 2016-17 तक किसी भी स्तर पर छात्रवृत्ति योजनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी छात्रवृत्ति का बजट सिर्फ निजी संस्थानों में बांटा गया, जबकि सरकारी संस्थानों को छात्रवृत्ति के बजट का मात्र 20 फीसदी हिस्सा मिला। विभागीय जांच में सामने आया है कि इन चार सालों में 2.38 लाख विद्यार्थियों में से 19 हजार 915 को चार मोबाइल फोन नंबर से जुड़े बैंक खातों में छात्रवृत्ति राशि जारी कर दी गई। इसी तरह 360 विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति चार ही बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। 5729 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने में तो आधार नंबर का प्रयोग ही नहीं किया गया है।
इस दौरान फर्जी एडमिशन से छात्रवृत्ति राशि के नाम पर घोटालें होने के तथ्य सामने आए। घोटाले की राशि 250 करोड़ के करीब है। दरअसल राज्य सरकार को शिकायत मिली थी कि जनजातीय क्षेत्र लाहौल स्पीति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति राशि नहीं मिल रहीं है। ऐसे में शिकायतों को संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग ने मामले की जांच करवाने का निर्णय लिया।