एमबीएम न्यूज़/शिमला
देवभूमि में 2010 बैच के आईएएस अधिकारी व डीसी युनस पहले भी अपने कई बिंदास कार्यों के लिए पहचाने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार शिक्षा के व्यवसायीकरण पर कड़क एक्शन को लेकर निजी स्कूलों के अभिभावकों की आंखों का तारा बन गए हैं। प्रदेश में शायद यह पहली बार ही हो रहा है, जब निजी स्कूलों के खिलाफ व्यवसायीकरण को लेकर प्रशासन ठोस कार्रवाई अमल में ला रहा है। 2000 के बाद प्रदेश में निजी स्कूलों की बाढ़ आई है।समूचे प्रदेश में कुल्लू ही एकमात्र जिला है, जहां पर निजी स्कूलों पर व्यवसायीकरण को लेकर शिकंजा कसा जा रहा है।
जानकार बताते हैं कि उपायुक्त ने स्पष्ट तौर पर यह तय कर लिया है या तो स्कूल सुधर जाएंगे या फिर विकल्प होगा। उल्लेखनीय है कि चंद रोज पहले उन्होंने नामी स्कूल के प्ले विद्यालय को बंद करने के आदेश दिए थे। इसके बाद बुधवार को दो प्रतिष्ठित स्कूलों के गोदामों में छापेमारी करवा कर स्कूल यूनिफॉर्म व किताबों के स्टोर सील करवा दिए। सोशल मीडिया में उपायुक्त के कड़क एक्शन को लेकर जमकर प्रशंसा की जा रही है, यहां तक की सोशल मीडिया के यूजर्स अपने अपने जिला के उपायुक्तों से भी इस तरह की कार्रवाई अमल में लाने की बात कर रहे हैं।
जानकार यह भी कहते हैं कि उपायुक्त द्वारा कुल्लू में की जा रही कार्रवाई का असर प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी हो रहा है, निजी स्कूल धीरे-धीरे व्यवसायीकरण से कदम पीछे करने पर विवश हो सकते हैं।
क्यों पेचीदा…..?
दरअसल शिक्षा के व्यवसायीकरण का मामला बेहद ही पेचीदा है। इसमें अभिभावक खुलकर अपनी बात कहने से कतराते हैं, इसकी वजह यह होती है कि स्कूलों में बच्चों से भेदभाव होगा। हालांकि इस बार सोलन वा शिमला में शिक्षा के व्यवसायीकरण को लेकर जबरदस्त तरीके से अभिभावकों ने प्रदर्शन किए, लेकिन अन्य जिलों में खामोशी ही रही। न चाहते हुए भी अभिभावक मोटी रकम अदा करते हैं। इस मसले पर यह कहते हुए पल्ला झाड़ा जाता रहा है कि कोई ठोस कानून नहीं है, लेकिन डीसी यूनस ने राइट ऑफ एजुकेशन, जूविनाइल जस्टिस एक्ट के अलावा बाल संरक्षण आयोग की नीति में ऐसे कानून ढूंढ निकाले हैं, जिनके तहत निजी स्कूलों पर शिकंजा कसा जा सकता है।
पहले इस बात को लेकर रही चर्चा
उपायुक्त यूनस शहीद की बेटी को गोद लेने को लेकर भी चर्चा में आए थे। इसके इलावा नालागढ़ में एसडीएम रहते हुए खनन माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई को लेकर भी चर्चा आये थे, उस समय माफिया ने आईएएस अधिकारी को गाड़ी से रोंदने कोशिश भी की थी। ऊना में डीसी रहने दौरान भी बेमिसाल कार्य किये। पत्नी अंजुम आरा आईपीएस अधिकारी हैं, जो सोलन के इलावा बिलासपुर में पुलिस अधीक्षक के तौर पर बेहतरीन कार्य कर चुकी हैं। देश में अंजुम आरा दूसरी मुस्लिम महिला आईपीएस अधिकारी है।
खुद क्या बोले….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने कुल्लू के उपायुक्त से सीधी बातचीत की। स्पष्ट शब्दों में उपायुक्त ने कहा कि शिक्षा के व्यवसायीकरण पर शिकंजा कसने के अलावा नन्हे बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि होगी। उन्होंने कहा कि 3 से 6 वर्ष बच्चों के लिए स्कूल में रैंप लाजमी होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी निजी स्कूलों पर व्यवसायीकरण को लेकर छापामारी जारी रहेगी। उपायुक्त का कहना था कि गत दो सालों में हाईकोर्ट ने स्कूलों को लेकर अलग-अलग आदेश जारी किए हैं, इनकी पालना प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।
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उन्होंने कहा कि बेशक की स्कूल सीबीएसई आईसीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन के पास नियमों की अवहेलना करने पर कार्रवाई करने की काफी गुंजाइश होती है। आश्चर्य व्यक्त करते हुए उपायुक्त ने कहा कि स्कूलों में यूनिफार्म के अलावा बुक्स को बेचने का खुलकर धंधा चल रहा है, इससे अभिभावकों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है। उपायुक्त ने कहा कि कोई भी नियम व्यवसायीकरण की अनुमति नहीं देता है।
उल्लेखनीय है कि अगर अभिभावक खुले बाजार से पुस्तकों को खरीदते हैं तो इसमें डिस्काउंट की उम्मीद होती है, जबकि स्कूल पूरे एमआरपी पर ही किताबें बेचते हैं। एक अहम बात में उपायुक्त ने यह भी कहा कि निजी स्कूलों में शिक्षकों को भी काफी कम मानदेय दिया जाता है। इसको लेकर भी मापदंडों के तहत समीक्षा की जा रही है।