नितिश कुमार/शिमला
देश को पहले लोकपाल के तोड़ पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष मिले है। जस्टिस घोष के साथ चार न्यायिक व चार ग़ैर न्यायिक सदस्यों की भी नियुक्ति हुई है। प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है कि चार न्यायिक सदस्यों में जस्टिस अभिलाषा कुमारी भी है,जो पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की बेटी है। मणिपुर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायधीश रह चुकी है।
देश को 52 साल की लंबी लड़ाई के बाद लोकपाल मिला है। भारत में साल 1967 में पहली बार भारतीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों को लेकर लोकपाल संस्था की स्थापना का विचार रखा था। हालांकि इसे स्वीकार नहीं किया गया था। इस बिल को लेकर समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक अनशन किया और जनवरी 2014 यह कानून बनकर तैयार हुआ। कानून बनने के 5 साल बाद मिला लोकपाल बन कर तैयार हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने फेसबुक पोस्ट से दी बधाई
“मेरी व हिमाचल की बेटी, मणिपुर हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश रह चुकी जस्टिस अभिलाषा कुमारी को भारत के पहले लोकपाल का सदस्य नियुक्त होने पर हार्दिक बधाई। यह हर हिमाचली ख़ास कर महिलाओं के लिए अत्यंत ख़ुशी वह गर्व की बात है।”
कौन है जस्टिस पीसी घोष?
1952 में जन्मे जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष (पीसी घोष) जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं। उन्होंने अपनी क़ानून संबंधी पढ़ाई कोलकता से ही की। 1997 में वे कलकत्ता हाईकोर्ट में जज बने। दिसंबर 2012 में वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने एआईएडीएमके की पूर्व सचिव ससिकला को भ्रष्टाचार के एक मामले में सज़ा सुनाई। मार्च 2013 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर उनकी पदोन्नति हुई।
इसके बाद 27 मई 2017 को वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद से रिटायर हुए, जस्टिस घोष ने अपने सुप्रीम कोर्ट कार्यकाल के दौरान कई अहम फ़ैसले दिये। सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद जस्टिस घोष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से जुड़ गए थे। सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए जस्टिस राधाकृष्णन की बेंच में उन्होंने फ़ैसला सुनाया था कि जल्लीकट्टू और बैलगाड़ी दौड़ की प्रथाएं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन हैं।