वी कुमार/मंडी
छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी में होली का त्यौहार बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यहां परंपरा रही है कि एक दिन पहले रंगों का त्यौहार मनाया जाता है। खास बात यह भी है कि होली भगवान के साथ मनाई जाती है। सबसे पहले भगवान को रंग लगाकर दूसरों को रंग लगाया जाता है। बता दें कि भगवान श्री कृष्ण के रूप राज माधव राय को मंडी के राजा ने अपना राजपाठ सौंप दिया था। जिसके बाद भगवान ही रियासत के राजा बन गए थे। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि यहां पर सबसे पहले भगवान को होली लगाई जाती है।
दोपहर करीब दो बजे तक सभी ने एक दूसरे को जमकर गुलाल लगाया और त्यौहार मनाया। उसके बाद राज माधव राय की पालकी पूरे शहर की परिक्रमा करने निकली। जैसे ही यह परिक्रमा संपन्न हुई उसके बाद शहर का होली का त्यौहार भी समाप्त हो गया। डीजे की धुनों पर लोगों ने जमकर डांस किया।
गुलाल उड़ाकर रंगों के इस पर्व की खुशियों को सभी के साथ सांझा किया। यहां पर न सिर्फ स्थानीय बल्कि बाहर से आए लोगों ने भी रंगों का यह त्यौहार मनाया।
एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी। यहां पर न तो लठमार होली होती है और न कीचड़ वाली होली। बड़ी बात यह भी है यहां पर किसी भी अनजान को रंग नहीं लगाया जाता। लड़कियां और महिलाएं भी इस त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ मनाती हैं। क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि कोई भी अनजान शख्स उन्हें रंग नहीं लगाएगा।