अनिल छांगू/ज्वाली
कश्मीर के आतंकी हमले में हिमाचली लाल ने भी शहादत को चूम कर अपने प्राण देश पर न्योछावर कर दिए हैं। कांगड़ा की ज्वाली तहसील के धेवा गांव के रहने वाले कांस्टेबल तिलक राज की शहादत की सूचना रात 9:00 बजे के बाद समूचे प्रदेश के कोने-कोने में आग की तरह फ़ैल गई। लेकिन इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर 10 बजे के बाद हो पाई। 2 मई 1988 को जन्मे शहीद तिलक राज ने सीआरपीएफ में अपनी सेवाएं 27 अप्रैल 2007 को शुरू की थी।
उल्लेखनीय है कि वीरवार शाम हुए हमले में सीआरपीएफ के 4 दर्जन के आसपास जवान शहीद हो गए। आतंकियों ने सीआरपीएफ की बस को निशाना बनाया। जानकारी के मुताबिक शहीद तिलकराज अपने पीछे पत्नी सावित्री देवी के अलावा एक नन्हा बेटा छोड़ गए हैं। यह जानकारी मिली है की शाहिद तिलक राज 11 फरवरी को ही ड्यूटी पर लौटा था। छोटा बेटा महज 22 दिन का है। शहीद तिलक सीआरपीएफ की 76 बटालियन में तैनात था।कांस्टेबल तिलक राज की शहादत पर समुचित कांगड़ा घाटी में शोक की लहर है। जानकारी के मुताबिक आत्मघाती हमले में हिमाचली बेटा तिलकराज घायल हो गया था, लेकिन सेना के अस्पताल में उसने दम तोड़ा।
यह भी बताया जा रहा है कि तिलक राज सीआरपीएफ के जवानों की बस एस्कॉर्ट टीम का हिस्सा था। उधर ज्वाली विधायक अर्जुन ठाकुर ने शहीद के परिवार से बात की। यह भी जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने तुरंत ही विधायक को शहीद के परिवार से मिलने की बात कही है। साथ ही कैबिनेट मंत्री किशन कपूर भी शिमला से शहीद के गांव के लिए रवाना हुए है। कांगड़ा के डीसी संदीप कुमार ने तिलक राज शहादत की पयष्टि की है।
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