नाहन,21 सितंबर : हिमाचल में सिरमौर के मुख्यालय नाहन से 70 किलोमीटर दूर स्थित महाकाल शिव मंदिर मानगढ़ अद्भुत नक्काशी (Amazing carving) का खूबसूरत नमूना है। प्राचीन मंदिर का इतिहास पांडवों से जुड़ा हुआ है। मंदिर मध्य हिमालय की शिवालिक पहाडिय़ों की गोद में मानगढ़ पंचायत में स्थित है। इतिहासकारों (Historians) व शिव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है। मंदिर के दरवाजे को एक बड़ी शिल्ला से काटकर बनाया गया है। जिस पर अद्भुत नक्काशी भी की गई है।
यही नहीं मंदिर में जितनी भी मूर्तियां हैं, उन्हें पत्थरों से काटकर बनाया गया है। खास बात यह है कि जिस पत्थर (Rock) को काटकर मंदिर व मूर्तियां( Idols) बनी हैं, वह पत्थर क्षेत्र में पाया ही नहीं जाता। बताया जाता है कि उन पत्थरों को भीम उठाकर लाये थे। मंदिर की दीवारों पर खुदे नक्षत्र दर्शन (Nakshatra darshan) में पांच ग्रह ही दर्शाए गए हैं, जो इसके प्राचीनतम इतिहास (History) के गवाह है। यह मंदिर हिमाचल में ही नहीं, बल्कि अपने प्राचीनतम इतिहास (Ancient history) को लेकर पूरे भारत (India) व विश्वभर में प्रसिद्ध है। महाकाल शिवलिंग के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। मंदिर के पिछले हिस्से में गाय को मारते हुए बाघ व बाघ को मारते हुए अर्जुन के चित्रों को पत्थरों पर उकेरा गया है।
पांडवों (Pandavas) द्वारा निर्मित इस शिव मंदिर (Shiv temple) के समीप ही भगवान कृष्ण का मंदिर है, जिसको लेकर पता नहीं लगा है कि यह कितना पुराना है। स्थानीय भाषा (Local Language) में इस स्थान को ठाकुरद्वारा भी पुकारा जाता है। ठाकुरद्वारा का अर्थ है, भगवान विष्णु का निवास स्थान। शिव व कृष्ण मंदिर के पास एक नाला बहता है, जो थोडी दूरी पर एक बडे झरने (water fall) का रूप धारण कर लेता है। इसे सिरमौर (Sirmour) का सबसे ऊंचा झरना बताया गया है। इसकी ऊंचाई 125 मीटर से अधिक है। हालांकि यह तय नहीं हैं कि मानगढ़ स्थित शिव मंदिर कितना पुराना हैं। मगर शोधकर्ताओं (Researchers) द्वारा यह मंदिर करीब 1500 साल से अधिक पुराना बताया जाता है।
1992 में पुरातत्व विभाग ने लिया अपने अधीन
वर्ष 1992 में मानगढ़ शिव मंदिर को पुरातत्व विभाग (Archaeology department) ने अपने अधीन ले लिया। विडंबना यह है कि पुरात्व विभाग के अधीन चले जाने के बाद भी यह मंदिर राष्ट्रीय स्तर (National level) पर बैजनाथ शिव मंदिर की तरह अपनी पहचान नहीं बना पाया। जबकि दोनों मंदिरो में काफी समानता (Similarity) है।
2003-04 में खुदाई के दौरान मिला था गणेश मंदिर
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2003-04 में शिव मंदिर (Shiv Temple) के समीप खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को गणेश मंदिर (Ganesh Temple) भी मिला था। जिसका निर्माण गुप्त काल की शैली (Gupta period) में हुआ बताया जाता है। यह मंदिर ईसा में 2500 वर्ष पूर्व निर्मित या पांचवी, छठी शताब्दी का बताया जाता है।
दो बीघा जमीन में कई बार हो चुकी खुदाई
पुरातत्व विभाग के पास शिव मंदिर के आसपास दो बीघा जमीन है। जिसमें विभाग कई बार खुदाई का कार्य कर नए मंदिरों के बारे में और जानकारी जुटाने के प्रयास कर चुका है। पुरातत्व विभाग द्वारा यहां एक स्मारक परिचायक (Memorial attendant) भी नियुक्त किया गया है। जोकि मंदिरों के रखरखाव का ध्यान रखता है।