एमबीएम न्यूज़/शिमला
जूनियर ऑफिस अस्सिस्टेंट (आईटी) के नियमों में संशोधन पर अभ्यर्थियों ने सरकार का आभार जताया है। अभ्यर्थियों का कहना है कि डिप्लोमा को लेकर लंबे समय से सरकार और आयोग पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। इस कारण पोस्ट कोड-556 का परिणाम भी लंबे समय से लटका हुआ है। उनका कहना है कि संशोधन से नियमों में स्पष्टता आ गई है। अब गैर-मान्यता प्राप्त संस्थान वाले लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का आभार जताते अभ्यर्थी
जयराम ठाकुर की सरकार ने अपने घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा किया है। अभ्यर्थी इसका आभार प्रकट करते है। कुछ गैर-मान्यता प्राप्त संस्थान जो नियमों की धज्जियां उड़ा कर मानकों को नज़र अंदाज करते थे, उनके ऊपर नए नियमों से रोक लगेगी तथा साथ में कंप्यूटर शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। अगर गैर-मान्यता प्राप्त संस्थान के लोगों को नौकरी दी जाने लगी तो कॉलेज या यूनिवर्सिटी में कौन लोग पढ़ने जाएंगे। भर्ती नियमों में कम से कम एक वर्ष का डिप्लोमा मांगा है।
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मालूम हो कि जूनियर ऑफिस अस्सिस्टेंट पोस्ट कोड-447 की भर्ती नियमों के विपरीत जाकर की गई थी। गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों से किए गए डिप्लोमा को स्वीकार किया गया था। जिसे बाद में माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। उसका मामला अभी माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। आयोग द्वारा पोस्ट कोड-556 में भी पोस्ट कोड-447 वाली प्रक्रिया जारी रखी गई, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज करके आयोग को आर एंड पी रूल्स से भर्ती करने के निर्देश दिए गए, क्योंकि पहले से बने हुए आर एंड पी रूल्स में भी मान्यता प्राप्त डिप्लोमा को ही जगह दी गई थी। लेकिन कुछ एक अभ्यर्थियों द्वारा अपने स्वार्थ के लिए सभी को गुमराह किया जा रहा है कि प्राइवेट संस्थानों से किए गए डिप्लोमा नहीं चलेंगे। जबकि ऐसा नहीं है सिर्फ गैर-मान्यता प्राप्त संस्थान वाले भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकेंगे।