एमबीएम न्यूज/नाहन
ऐतिहासिक शहर के पक्का तालाब के किनारे एक स्थल ऐसा है, जहां मांगी गई हर मुराद पूरी हो जाती है। जी हां, हजरत लखदाता पीर साहब की दरगाह में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इस दरगाह पर सभी धर्मो के लोग माथा टेकते है और दुआएं मागंते हैं। जिनकी दुआएं पीर साहेब कभी अनसुनी नहीं करते। लखदाता पीर साहेब की दरगाह ऐसी है, जो यहां से गुजरने वाले लोगों में ऊर्जा भर देती है। वीरवार के दिन इस स्थल पर सैंकड़ों की संख्या में लोग माथा टेकते हैं। पीर साहेब की दरगाह पर लाईन लगती है, जिसमें हिदूं, मुस्लिम, सिख, ईसाई दरगाह पर शीश नवाजते है। शहर में धर्म, एकता व आस्था का यह सिलसिला चार शताब्दियों से चला आ रहा है, जो आज भी बदस्तूर जारी है।
क्या है जुड़ा इतिहास
सिरमौर रियासत के महाराजा कर्मप्रकाश सिरमौर रियासत मे सभी धर्मो के लोगों को रखना चाहते थे। उनकी दिली इच्छा थी कि पीरजादों का परिवार भी यहां बसें। इसलिए 1726 में दो पीरजादे मुल्तान रवाना हुए, जहां से वे राजा लखदाता पीर साहेब की दरगाह से दो ईंट लाए, जिसे उन्होंने पक्का तालाब के किनारे दफन किया। अगले दिन उन ईटों की एक मजार बन गई, जिसके बाद यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी।
इस स्थान से महारानी कुल्हारी के दो बेटे गुजरे, जिन्होंने इस स्थान का मजाक उड़ाया। इसके बाद दोनों घोड़े से गिर पड़े और उनकी टांगों में चोट आ गई। उसी रात महारानी कुल्हारी को सपना आया कि तेरे बेटों ने मेरी बेइज्जती की है, अगर वे अगर यहां आकर माफी मांग लेेगें तो मैं उन्हें चंगा कर दूंगा। उसके बाद महारानी ने अपने बेटों को पीरबाबा की दरगाह पर भेज उनसे पीर बाबा से माफी मांगने को कहा, तब जाकर वे स्वस्थ हुए। उसके बाद यह दरगाह लखदाता पीर के नाम से जानी जाने लगी।
लखदाता पीर साहेब गुग्गापीर महाराज के दुधमुंहे भाई थे। किदवंती के मुताबिक हजरत लखदाता पीर साहेब गुग्गापीर महाराज के दुधमुंहे भाई थे। दोनों ने एक ही माता का दूध पिया है।
लखदाता पीर साहेब को था कुश्तियों का शौक
कहते है कि लखदाता पीर साहेब को कुश्तियों का शौक था। वे स्वंय भी कुश्ती लड़ते थे और कुश्तियों के दंगल आयोजित करवाते थे। इसी के चलते नाहन में पीरजादे परिवार कुश्तियों का आयोजन करवाते आ रहे हैं।
48 वां विशाल दंगल आज…..
दरगाह हजरत लखदाता पीर साहेब में आज 48 वां विशाल दंगल चला हुआ है। जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उतराखंड, पंजाब, हरियाणा व हिमाचल से नामी पहलवान आए है।