अमरप्रीत सिंह/सोलन
हिमाचल प्रदेश ही आन-बान-शान विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे लाइन आज 115 साल की हो गई है। 9 नवंबर 1903 को शुरु की गई कालका-शिमला रेल लाइन के शुरुवाती दौर में 107 सुरंगों के बीच से निकाला गया था, लेकिन अब यह रेलवे लाइन 102 सुरंगों में ही सिमट कर रह गई है। हसीन वादियों में कालका-शिमला टॉय ट्रेन 869 पुलों और 919 तीखे मोड़ों से होकर गुजरती है। मनमोहक वादियों से गुजरती देश की सबसे संकरी रेल लाइन बेजोड़ इंजीनियरिंग का जीता जागता उदाहरण है। इस रेलवे लाइन पर सबसे बड़ी एक किलोमीटर लंबी सुरंग बड़ोग में है।
बड़ोग सुरंग को कर्नल एस. बड़ोग के नाम पर रखा गया है। जिन पर सुरंग के दोनों छोर सही न मिल पाने के कारण हुए नुकसान के लिए ब्रिटिश सरकार ने एक रुपए का जुर्माना लगाया था। इससे आहत होकर उन्होंने इस सुरंग में आत्महत्या कर ली थी। उनकी याद में इस सुरंग का नाम बड़ोग रखा गया है।
कर्नल बड़ोग की मौत के बाद इंजीनियर हेरिंगटन को इसके निर्माण का काम सौंपा गया। उन्होंने इसके निर्माण में बाबा भलकू की सहायता से पूरा किया था। ‘गिनीज बुक ऑफ रेल फैक्ट्स एंड फीट’ ने इसे ‘द ग्रेटेस्ट नैरो गेज इंजीनियरिंग ऑफ इंडिया’ बताया है। इस रेलवे लाइन का रिकॉर्ड चार वर्ष में पूरा किया गया। यूनेस्को ने 2008 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया था।