रेणु कश्यप / नाहन
क्या आपने सुना है कि किसी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने अपने 30 साल पुराने दोस्त के साथ मिलकर नेक कार्य पर अपनी पूरी जमा पूंजी लगा दी हो। पूंजी भी चंद लाख नहीं बल्कि एक करोड़ 40 लाख। जी हां, यहां बात हो रही है 1996 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी आरएस नेगी व सेवानिवृत अधिकारी आर के शर्मा की। दोस्तों ने हिंदी फिल्म के गीत “किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार जीना इसी का नाम है” को भी चरितार्थ कर दिखाया है।
रिटायर्ड अधिकारियो ने सिरमौर के सराहां विकास खंड की रिमोट पंचायत बनी बखौली के नाल (धिरड़ संदरोल) गांव में अनाथ बच्चों के लिए आदर्श बाल निकेतन का निर्माण किया है, जहां 21 बच्चों को सहारा दिया गया है। साल 2005 से 2008 तक नेगी सिरमौर में डीसी के पद पर तैनात थे, तब से ही उनका सिरमौर से गहरा रिश्ता हो गया था। नेगी की बदौलत ही मां बाला सुंदरी मंदिर न्यास ने त्रिलोकपुर में वृद्ध आश्रम व लोक संग्रहालय की नींव रखी थी।कमाल देखिये, इन अधिकारियो ने न केवल अपनी जमा पूंजी अनाथ बच्चो को समर्पित की है, बल्कि उनकी सेवा व देखभाल के लिए अपने परिवार भी छोड़ दिए है।
इस आश्रम में पनाह पाकर अनाथ बच्चे काफी खुश हैं, इसके निर्माण पर नेगी व शर्मा की जोड़ी अपनी जमा पूंजी से अब तक एक करोड़ व 40 लाख खर्च कर चुकी है। हालांकि अब सरकार ने इस अनाथ आश्रम को अधिग्रहण करने के भी संकेत दिए हैं, लेकिन दोस्तों की सोच को आने वाली कई पीढिया याद रखेंगी। अनाथ बच्चों के लिए नेगी के साथ-साथ सामाजिक अधिकारिता विभाग से उप निदेशक के पद से सेवानिवृत्त आर के शर्मा ने भी अपनी पूरी जमा पूंजी अनाथ आश्रम को समर्पित की है। शायद इस तरह की दुर्लभ मिसाल समूचे उत्तर भारत में किसी रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ने नहीं दी होगी।
यह जानकर भी रहेंगे दंग
अपने दोस्त आरके शर्मा के साथ खुद ही गैस के सिलेंडर लेने नाहन भी आते हैं, साथ ही राशन खरीदने भी बाजार जाते हैं। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ही अनाथ बच्चों के कपड़े बदलने के अलावा उनके नहाने व शौच आदि कार्य करने का भी संकोच नहीं करते हैं, क्योंकि इस दुर्गम इलाके में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का मिलना काफी मुश्किल होता है। यकीन मानिए, खुद नेगी किन्नौर के रहने वाले हैं तो शर्मा का अपना घर मंडी में है लेकिन दोनों दोस्तों की जोड़ी ने सिरमौर के ऐसे दुर्गम इलाके को अनाथ आश्रम के लिए चुना, जहां पहुंचने के लिए न तो कोई सड़क न ही अन्य सुविधाएं उपलब्ध थी। 8839 स्क्वायर फीट के इस अनाथ आश्रम में 25 बच्चों को रखने की क्षमता है, वर्तमान में यहां 21 बच्चे रह रहे हैं। अप्रैल 2018 में इस अनाथ आश्रम को शुरू किया गया।
कैसे हुआ नेक कार्य का खुलासा
दो रिटायर्ड दोस्तों के बेमिसाल कार्य की चर्चा आज तक मीडिया में नहीं हुई , दोनों अपनी धुन में लगे रहे। चंद रोज पहले अनाथ आश्रम के एलपीजी कनेक्शन को लेकर नेगी व शर्मा नाहन पहुंचे। इसी दौरान नेक कार्य का खुलासा हो गया। एमबीबीएस से खास मुलाकात में नेगी ने बताया कि उनके मन में यह कार्य बहुत पहले से करने की इच्छा थी, रिटायरमेंट से पहले ही दोस्तों ने ही योजना बनाई थी। उन्होंने बताया कि इस गांव के लिए न कोई सड़क है न अन्य कोई सुविधा। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए 8839 स्क्वेयर फीट के अनाथ आश्रम में 25 बच्चों को रखने की क्षमता है अभी यहां 21 बच्चे रह रहे हैं, विगत अप्रैल 2018 में इस अनाथ आश्रम को शुरू किया गया था। इसमें कुल खर्चा एक करोड़ 40 लाख के करीब आया है। उन्होंने बताया कि यूनिवर्सल डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमन एंड ऑल रिसोर्स चैरिटेबल ट्रस्ट भी बनाया है, जहां दानी लोग दान कर सकते हैं।
अनाथ बच्चों के लिए हर सुविधा
आश्रम में बच्चों के लिए दोनों अधिकारियों ने हर चीज की व्यवस्था की है। बच्चे ग्राउंड के साथ इंडोर गेम्स खेलते हैं, यहां उनकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा दोनों अधिकारी ही वहन करते हैं। नजदीकी सरकारी स्कूलों में दाखिले दिलवाये गए है। बचपन से ही बच्चो को आत्मनिर्भर बनाने के टिप्स के इलावा योगा इत्यादि भी उपलब्ध है।