एमबीएम न्यूज़ /नाहन
लापता श्रुति का कोई सुराग न मिल पाने की वजह से माता सुमेधा व पिता गुरदयाल की चिंता बढ़ती जा रही है। डेढ़ साल के छोटे भाई तरुण को उन बाहों की तलाश है, जो उसे गोदी में उठाकर लाड़ देती थी। वहीं करीब 8 साल की बड़ी बहन रूचि भी अपनी लाडली बहन श्रुति का घर पर इंतजार कर रही है। घर से एक साथ ही चूड़ेश्वर महाराज के दर्शन करने निकले थे।
हालांकि चूड़धार की तलहटी में बसे गांवों ने संगठित होकर श्रुति की तलाश में एक मिसाल कायम की है, लेकिन सुराग न मिलने से हर कोई अब भी चिंतित है। 9 दिन बीत जाने के बाद हर कोई यह जानना चाहता है कि श्रुति की कोई खबर आई या नहीं। दक्षिण हिमाचल के शिमला व सिरमौर का शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जहां श्रुति की सलामती को लेकर कोई चिंतित न हो। उधर राज्य सरकार ने एनडीआरएफ भेजने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया।
जिला पुलिस प्रशासन द्वारा बच्ची की तलाश में एनडीआरएफ की मदद दो दिन पहले मांगी गई थी। खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंगलवार को राजगढ़ तक आए। यह बात नहीं पता कि मुख्यमंत्री ने इस बारे कोई फीडबैक लिया या नहीं। अमूमन राज्य सरकार इस तरह की घटनाओं मेें विदेशी सैलानियों को ढूंढने के लिए चंद घंटे भी नहीं लगाती। मगर 9 दिन से लापता श्रुति की तलाश को लेकर अब तक भी सरकार नहीं जागी है।
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अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र ठाकुर के अलावा डीएसपी अनिल धौल्टा ने घटनास्थल का जायजा लिया। सबसे बड़ी बात यह है कि सर्च ऑपरेशन का हिस्सा बनने से पहले ही लोगों में बड़ी थकावट हो जाती है। इसका कारण नौहराधार बेस कैंप से तीसरी तक 12 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई है। अगर सरकार हेलीकॉप्टर से ही सर्च ऑपरेशन में हिस्सा लेने वालों को ही मौके तक ही पहुंचा देती तो भी कुछ मदद नजर आती। हेलीकॉप्टर की मदद से तलाश में जुटे लोगों की मदद को खाना ही ड्राप कर दिया जाता, तो भी इम्दाद हो सकती थी। लेकिन सरकार की हेलीटैक्सी सेवा व सीएम के टूर कार्यक्रम ज्यादा मायने रखते हैं।