एमबीएम न्यूज़ / नाहन
औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में स्थित एक नामी शिक्षण संस्थान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने विज्ञापनों में ब्रांड एंबेसडर बना दिया है। चौंकिए मत, संस्थान ने अपने ही स्तर पर स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत विज्ञापनों में मोदी की तस्वीर प्रकाशित की है।
अहम बात यह है कि इन विज्ञापनों में प्रधानमंत्री के प्रोटोकॉल को नजरअंदाज किया जा रहा है। संस्थान की बहुमंजिला इमारत को प्रमुखता से दिखाने के साथ-साथ अलग-अलग कोर्सेज के बारे में भी जिक्र किया जा रहा है। सवाल इस बात पर भी उठ रहा है कि क्या इस तरीके से प्रधानमंत्री निजी शिक्षण संस्थानों के ब्रांड एंबेसडर बन सकते हैं या नहीं?
इस बारे पाठकों का ध्यान आकर्षित करने का आग्रह किया तो पाया गया कि निजी शिक्षण संस्थान अपने दाखिले बढ़ाने के मकसद से प्रधानमंत्री की तस्वीरों को अपने विज्ञापन में प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है। हालांकि प्रदेश में निजी शैक्षणिक संस्थानों ने चैरिटेबल ट्रस्ट बनाए हुआ है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि वास्तव में चैरिटी की भी जाती है या नहीं। लंबे अरसे से प्रश्न इस बात पर भी है कि शिक्षण संस्थानो के मालिक आखिर क्यों चैरिटेबल ट्रस्ट का बैनर तले ही क्यों संस्थान चलाते हैं।
अमूमन सरकारी विज्ञापनों में उच्च स्तर के अधिकारियों की मंजूरी के बाद ही विज्ञापन को अंतिम रूप दिया जाता है। यहां तक कि प्रकाशित होने वाली तस्वीरों को भी मंजूरी के लिए भेजा जाता है। कुल मिलाकर निजी शैक्षणिक संस्थानों की अपने ही मर्जी से प्रधानमंत्री की तस्वीरें प्रकाशित की जा रही हैं। यह पाठकों को ही तय करना है कि इस तरह की परंपरा सही है या नहीं।