एमबीएम न्यूज /नाहन
चूड़धार चोटी के समीप तीसरी से लापता 8 साल की श्रुति का तीसरे दिन भी कोई पता नहीं चल पाया है। अब डॉग स्कवॉयड की मदद ली गई है। सुबह 9 बजे के आसपास शिमला से ट्रैकर डॉग नौहराधार पहुंचा। तुरंत ही ट्रेनर अनिल के साथ चढ़ाई शुरू कर दी।
जानकारी के मुताबिक सवा एक बजे के आसपास डॉग मौके पर पहुंच गया था। पुलिस ने घर सेे बच्ची के कुछ कपड़े भी मंगवाए थे, ताकि कुत्ते को सुंघा कर बच्ची की तलाश को आगे बढ़ाया जा सके। चूंकि इलाके में पिछले दो-तीनों से जबरदस्त बारिश हो रही है। साथ ही धुंध भी छाई हुई है। लिहाजा ट्रैकर डॉग को भी सफलता मिलने की उम्मीद कम लग रही है, लेकिन प्रशासन कोई जोखिम नहीं उठा रहा। करीब तीन बजे के आसपास संगड़ाह के डीएसपी अनिल धोल्टा भी मौके की तरफ रवाना हो गए थे, जिनके देर शाम तक चोटी पर पहुंचने की उम्मीद है।
जानकारी यह भी है कि बच्ची की तलाश में चल रहे सर्च अभियान में नाहन, श्री रेणुका जी व संगड़ाह से भी पुलिस जवानों को चोटी की तरफ भेजा गया है। पुलिस व वन विभाग के कर्मियों के अलावा चोटी के चारों तरफ बच्ची को तलाशने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने तीसरी में ढाबा चलाने वाले दो व्यक्तियों से भी पूछताछ की है। इसी ढाबे से बच्ची टॉफी लेने गई थी। बारिश होने की वजह से सर्च ऑपरेशन में मुश्किल भी हो रही है।
सनद रहे कि चोटी पर मुख्य तौर पर नौहराधार, कुपवी व सराहन से पहुंचा जाता है। लिहाजा इन तीनों दिशाओं से बच्ची की तलाश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि मासूम बच्ची सोमवार सुबह 10 बजे के आसपास अपने माता-पिता से बिछड़ गई थी। सूचना मिलने के तुरंत बाद नौहराधार पुलिस के जवान मौके की तरफ रवाना हुए। बच्ची की तलाश ऑपरेशन लगभग 60 घंटे से चल रहा है। अधिक समय बीत जाने की वजह से बच्ची की सुरक्षा को लेकर अटकलें चल रही हैं। आसपास खतरनाक ढांक के अलावा भालुओं की संख्या काफी ज्यादा है। चौपाल उपमंडल के पुलबाहल के नावनी गांव की रहने वाली बच्ची अपने माता-पिता व परिवार के साथ चोटी पर गई थी।
उधर संगड़ाह के डीएसपी अनिल धोल्टा ने कहा कि वह खुद भी चोटी की तरफ रवाना हो गए हैं। उन्होंने कहा कि ट्रैकर डॉग ने भी तलाश शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि चूड़धार की अंतिम चोटी सिरमौर में आती है, जबकि प्राचीन मंदिर का हिस्सा शिमला जनपद में है।
क्या है ट्रैकर डॉग की खासियत
बच्ची की तलाश में जुटा ट्रैकर डॉग जर्मन शैफर्ड प्रजाति का है, जिसमें सूंघने की शक्ति जबरदस्त होती है। प्रदेश की विडंबना यह है कि अब तक प्रदेश के हरेक जिला में अपने डॉग स्कवॉयड नहीं हैं। डॉग का भी पुलिस में अपना एक रैंक होता है। बताया गया कि प्रदेश में डॉग स्कवॉयड की स्थापना 1957 में हुई।
क्या बोले ब्रह्मचारी स्वामी कमलानंद जी
चोटी पर स्थित आश्रम से मोबाइल पर बातचीत में ब्रह्मचारी स्वामी कमलानंद ने कहा कि चोटी पर रहते हुए करीब 20 साल का समय हो चुका है, लेकिन इस तरह की घटना पहले कभी नहीं देखी। उन्होंने बताया कि बच्ची की तलाश में शिमला के चौपाल व सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल के सैंकड़ों लोग जुटे हुए हैं।