एमबीएम न्यूज / शिमला
आपको याद होगा, ठियोग बस हादसे में चालक के शव को निगम की बस में ही सीटों के साथ बांध कर घर पहुंचाया गया था। मंत्री जी ने आलाधिकारियों से जवाब तलबी की थी। अब एक बार फिर रामपुर उपमंडल के कुमारसैन से ह्रदय विदारक खबर आई है।
आप यह जानकर चौंक उठेंगे कि पिकअप हादसे में मरने वाले पांच युवकों के शवों को रात भर पिकअप में ढेर लगा कर रखा गया था, क्योंकि सिविल अस्पताल कुमारसैन का शवगृह खंडहरनुमा तस्वीर बयां कर रहा था। दरवाजे पर मिट्टी व पत्थरों के ढेर लगे हुए थे। शवों को पिकअप में रखना मजबूरी था। गनीमत है कि खाकी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। रात भर सुरक्षा कर्मियों नेे शवों की निगरानी के दौरान पलक भी नहीं झपकी, क्योंकि मामूली सी चूक पर शवों पर जानवरों का हमला हो सकता था।
हैरान कर देने वाली बात यह है कि प्रदेश हरेक जिला में मेडिकल कॉलेजों के अलावा बिलासपुर में एम्स का सपना देख रहा है। धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है। जानकारी के मुताबिक सडक़ हादसा करीब 8 बजे के आसपास हुआ था। पांच युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे की तस्वीरें बेहद भयावक थी। कुछ लोगों की मदद से पुलिस ने ही शवों को बाहर निकाला। रात 2 बजे तक डीएसपी व एसडीएम के अलावा कुमारसैन थाना प्रभारी भी मौके पर ही मौजूद रहे। जब टीम शवों को लेकर सिविल अस्पताल पहुंची तो यह देखकर दंग रह गई कि शवों को रखने के लिए कोई सुचारू व्यवस्था नहीं है।
बताया गया कि अस्पताल में लंबे अरसे से बीएमओ सहित चार चिकित्सकों के अलावा अन्य दर्जन भर पद रिक्त पड़े हुए हैं। सवाल यह उठता है कि शवगृह के सामने मलबे का ढेर लगाने का जिम्मेदार कौन है। सोचिए, उन परिवारों पर क्या गुजरी होगी, जब शवों को खुले में ही पिकअप में डाल कर रखा गया। अब सवाल यह उठता है कि इस तरह का दर्द झेलने वाले इलाके को क्या सरकार उचित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर देगी या नहीं। इस पूरे घटनाक्रम में एक बात की गनीमत रही कि बारिश नहीं हुई। अन्यथा पहरेदारों और अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता था।
ठियोग हादसे का वीडियो…देखिए कैसे ले जाया गया था एचआरटीसी कर्मी का शव https://goo.gl/xnMQBE
https://youtu.be/Au90aEVCTKM