एमबीएम न्यूज़/धर्मशाला
खाद्य आपूर्ति मंत्री किशन कपूर ने हिंदी के कामकाज में अंग्रेजी शब्दों के बढ़ते प्रयोग की प्रवृति से बचने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा का अपना विपुल शब्द भंडार है, जिसमें स्पष्ट अभिव्यक्ति के लिए शब्दों की कमी नहीं है ऐेसे में अंग्रेजी भाषा के शब्द डालने के अनावश्यक प्रयास से बचा जाना चाहिए।
किशन कपूर शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिंदी अध्यापकों एवं प्रधानाचार्यों हेतु सात दिवसीय हिंदी प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए बोल रहे थे।
खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार सरकारी कामकाज में सरल और सहज हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है। कार्यालयों में हिंदी में सामान्य पत्राचार, टिप्पण एवं प्रारूपण के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पूर्व में भी जब शांता कुमार मुख्यमंत्री थे, प्रदेश में सरकारी कामकाज में हिंदी को प्रोत्साहन देने की दिशा में विशेष प्रयास किए गए थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदी भाषा को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रधानमंत्री अपनी विदेशी यात्राओं के दौरान विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों से हिंदी में वार्तालाप करते हैं, जिससे हिंदी का फलक बड़ा हुआ है । इसके अलावा वे वहां रहने वाले भारतीयों को भी हिंदी में संबोधित करते हैं, जिससे लोग अपने देश के साथ भावनात्मक जुड़ाव अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में विदेश मंत्री के तौर पर संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पहला बार हिंदी में भाषण देकर सभी को गौरवान्वित किया था।
उन्होंने कहा कि हमने अपनी पुरातन संस्कृति के गौरव को खो दिया, जिससे हीनभावना से ग्रसित होकर हम स्वयं को कम आंकते हैं। हमें इस मानसिकता से निकलना होगा। स्वयं को और निज भाषा को कमतर आंकने की वृति छोड़ें। पुरातन भारतीय संस्कृति और अपनी भाषा को लेकर गौरव का भाव रखें।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद केे शिकागो की धर्म संसद में दिए ओजस्वी भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा का परचम लहराया था किंतु आज हमने अपने गौरवमयी अतीत को विस्मृत कर दिया है। जरूरी है हम आत्मनिरीक्षण करें और अपनी वास्तविक क्षमता को पहचानें।
उन्होंने हिंदी के प्रचार प्रसार में मीडिया विशेषकर टीवी व फिल्मी माध्यम की भूमिका को महत्वपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्मों एवं अन्य कार्यक्रमों के कारण गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी के प्रति रूचि बढ़ी है। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों से बच्चों की व्याकरण की त्रुटियों को दूर करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को कहा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कार्यशाला से शिक्षकों के ज्ञान एवं कौशल में और वृद्धि होगी और वे इस सीख को अपने विद्यालयों में लागू करेंगे।
इस मौके हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने अपने संबोधन में भारतीय भाषाओं को उचित स्थान एवं सम्मान दिए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए जरूरी है कि विदेशी भाषा का वर्चस्व समाप्त हो।
प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं के मध्य विभाजन की नुकसानदायक प्रवृति को छोड़कर सभी भाषाओं के विकास के लिए कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं के वर्चस्व को बढ़ाने के लिए सभी विधाओं में उच्च कोटी का लेखन होना चाहिए। बढ़िया लेखन से भाषा का सम्मान और पहचान बढती है।
विश्वविद्यालय के शिक्षा स्कूल के प्रमुख प्रो. मनोज सक्सेना ने खाद्य आपूर्ति मंत्री एवं उपस्थित मेहमानों का स्वागत करते हुए हिंदी भाषा के विकास और विस्तार एवं हिंदी भाषा की वैश्विक छवि पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि हिमाचल के केंद्रीय विश्वविद्यालय में अधिकतम कार्य हिंदी में ही किया जाता है। उन्होंने अन्य शिक्षण संस्थान भी इस दिशा में प्रयास करने का अग्रह किया। सहायक प्रध्यापक डॉ. जय प्रकाश धन्यवाद प्रस्ताव।
महात्मा गांधी अंतरराष्टीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के संयुक्त निदेशक प्रो. अवधेश कुमार, धर्मशाला डिग्री कॉलेज के प्रधानाचार्य सुनील मेहता, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक छात्र पाठशाला धर्मशाला की प्राचार्या नीना पुंज, भाजपा मंडल अध्यक्ष कैप्टन रमेश अटवाल एवं अन्य गणमान्य लोग, विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य एवं अध्यापक व विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे।