पांवटा साहिब (एमबीएम न्यूज़) : गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिलवाने के लिए अब उत्तराखण्ड के जौनसार व हिमाचल प्रदेश के गिरिपार के शोधकर्ताओं व विद्वानों सहित लेखक भी आगे आए हैं। इस विषय को लेकर शिलाई क्षेत्र के मस्तभोज के जाखना मे हुई संस्कृति व परंपरा शोध कार्यशाला मे उत्तराखंड के जौनसार-बाबर जनजातीय क्षेत्र के विद्वानों ने भी हाटी समिति के पक्ष में अपना समर्थन दिया है।
पांवटा साहिब के गिरीपार क्षेत्र के जाखना में केंद्रीय हटी समिति ने एक संयुक्त कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में उत्तराखंड राज्य के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर तथा जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के कई विद्वानों सहित सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया। एक दिवसीय शिविर में जहाँ शोधकर्ताओं व् विद्वानों ने गिरिपार क्षेत्र को हाटी समुदाय का दर्जा दिलवाये जाने पर मंथन किया, तो वहीँ दूसरी ओर अपनी संस्कृति को बचाये रखने के लिए कई अहम कदम उठाने पर भी चर्चा की। इस मोके पर भाषा संस्कृति विभाग के अधिकारी भी कार्यशाला में मौजूद रहे।
इस कार्यशाला में गिरिपार तथा जौनसार क्षेत्र की कला, सांस्कृतिक वेशभूषा, रहन-सहन, खान-पान, भौगोलिक परिस्थितियों पर डेढ़ दर्जन विद्वानों ने अपना शोध प्रस्तुत कर शोध पत्र केंद्रीय हाटी समिति को सौंपा। शोधकर्ताओं का कहना है कि पहले जौनसार-बाबर गिरिपार क्षेत्र का ही हिस्सा था जो कि बाद मे उत्तर प्रदेश में चला गया था और उसके बाद वह अलग राज्य उत्तराखंड बन जाने से उसके अंतर्गत आ गया था।
शोधकर्ताओं ने बताया कि दोनों क्षेत्रों मे कई समानताऐं है, इसलिए जिला सिरमौर का गिरिपार क्षेत्र भी जनजातीय घोषित होने का हकदार है। इस कार्यशाला के दौरान क्षेत्र के हारूल गायकों ने पारम्परिक वेशभूषा में नाच-गाकर लोक गाथाएँ प्रस्तुत कर सभी को अपनी संस्कृति बताई। इस दौरान पारंपरिक लोक गीत झूरी और लामणो आदि का भी गायन हुआ।
केंद्रीय हाटी समिती द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में जिला सिरमौर के गिरीपार सहित उत्तराखण्ड के सैंकडों लोगों ने भाग लिया। सभी ने यहां मंथन कर एक बार फिर गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की पैरवी करते हुए अपने शोध और विचार सांझा किये।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के जौनसार-बाबर क्षेत्र को जनजातीय दर्जा मिलने के बाद दशकों से सीमित सन-साधन वाले जिला सिरमौर के दुर्गम गिरीपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित करने की मांग उठती आई है। जिसे लेकर हाटी समिति के प्रतिनिधिमण्डल कई बार सांसद, मुख्यमंत्री सहित देश के राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह और वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर चुके हैं।
शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद द्वारा कई बार इस बारे आश्वस्त किया गया है, परंतु आजतक यह सिर्फ चुनावी जुमला ही साबित हुआ है। 21वीं सदी में भी पिछडेपन का दंश झेल रहे गिरीपार क्षेत्र को आज भी सरकार की नज़र-ऐ-इनायत का इंतज़ार है।