नाहन (रेणु कश्यप): सीमा पर परवाणु में टिंबर टे्रल (टीटीआर) पर्यटन के अंतरराष्ट्रीय पटल पर पहचान को मोहताज नहीं है। यह बात भी काफी लोग जानते हैं कि इस अनूठे प्रोजैक्ट का सपना 1982 में सराहां के रमेश गर्ग ने पूरा कर दिखाया था। लेकिन काफी कम लोग इस बात को जानते होंगे कि गर्ग अपनी जन्मस्थली सराहां के लिए अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा खर्चने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं।
खबर है कि टिंबर ट्रेल के चेयरमैन रमेश गर्ग ने सराहां अस्पताल के लिए डिजिटल एक्स-रे मशीन के साथ-साथ इलैक्ट्रॉनिक न्यूमोलॉजी (ऑक्सीजन सिलैंडर) देने का फैसला लिया है। इसके लिए 8 से 10 लाख रुपए की राशि खर्च कर रहे हैं। चूंकि काफी कम लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी धरती से जुड़ाव रखते हैं। बेशक ही फलक को छू रहे हों। लिहाजा एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने भी तपाक से रमेश गर्ग से संपर्क साध लिया।
सीधे स्वभाव में बोले, अस्पताल में रोगियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी धरती पर जन्मा हूं तो कुछ दायित्व बनता है। लिहाजा अस्पताल को कुछ उपकरण देने जा रहा हूं। बातों-बातों में पता चला कि स्टाफ नर्सों के लिए सराहां में अपना घर भी स्वास्थ्य विभाग के नाम कर दिया था। मेडिकल परीक्षण करने के लिए करीब अढ़ाई साल पहले उपकरण मुहैया करवाए थे। औसतन हर साल 4 से 5 लाख रुपए की राशि सराहां में सामाजिक कार्यों पर खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं।
हालांकि खुद नहीं बोले, लेकिन जुटी जानकारी के मुताबिक सराहां के करीब 50 से 60 युवाओं को स्थाई रोजगार भी टिंबर ट्रेल में दे रखा है। होटल मैनेजमेंट कोर्स करने वाले छात्रों को अच्छी पगार देने के लिए भी हर वक्त तैयार रहते हैं। कुल मिलाकर अगर होटल कारोबारी रमेश गर्ग की तरह वो तमाम लोग सोचें, जो आज सिरमौर की धरती में पैदा होकर करोड़ों रुपए का टर्नओवर कारोबार में कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर आम लोगों की निर्भरता सरकार पर कम हो जाएगी।
दसवीं पास हूं…
एक सवाल पूछा गया कि सराहां में दसवीं की परीक्षा के बाद आगे कहां पढ़े तो तपाक से बोले, भाई दसवीं पास हूं। जब टिंबर ट्रेल बनाया तो दिन-रात मेहनत की। भगवान के आशीर्वाद व अपनों की दुआओं से इस मुकाम तक पहुंचा हूं, लेकिन जुड़ाव अपनी जन्मस्थली से कभी नहीं टूटने दिया। बताते हैं कि सराहां क्षेत्र के लोगों को आज भी टिंबर ट्रेल में निशुल्क घूमने की सुविधा भी रमेश गर्ग देते हैं। विशेष बातचीत के दौरान रमेश गर्ग ने यह भी कहा कि दान किया गया मकान खस्ता हालत में है, वो इसकी रिपेयर करवाने के लिए भी तैयार हैं।