नाहन (एमबीएम न्यूज): आज भी कई लोग पूछते हैं, सिरमौर नामक स्थान कहां है। पांवटा साहिब-सतौन मार्ग पर सिरमौरी ताल एक जगह है। ऐसा कहा जाता है कि कई सौ साल पहले सिरमौर रियासत की राजधानी यहीं थी, जो एक नटनी के श्राप से गर्क हो गई थी। दरअसल यह जगह, फिर चर्चा में है क्योंकि मुगलांवाला-करतारपुर पंचायत के सिरमौरी ताल स्कूल में खुदाई के दौरान भगवान श्री गणेश की मूर्ति मिली है।
हालांकि मूर्ति के पुरातत्व महत्व का खुलासा पुरातत्व विभाग (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण)ही कर सकता है, लेकिन यह जरूर माना जा रहा है कि भगवान श्री गणेश की यह मूर्ति दशकों पुरानी हो सकती हैं। सनद रहे कि क्षेत्र में खुदाई के दौरान पहले भी कई मूर्तियां निकलती रही हैं। इससे पहले सालवाला पंचायत के ननसेर स्थित नाग देवता मंदिर में भी खुदाई के दौरान कई मूर्तियां मिली हैं।
सिरमौरी ताल के सीएचटी रामपाल का कहना है कि स्कूल परिसर के पिछले हिस्से को पक्का करने का कार्य चला हुआ है। इसी दौरान खुदाई में मूर्ति मिली है। इस दौरान मजदूरों को लंबा पत्थर दिखाई दिया। खुदाई कार्य को रुकवाकर हाथ से मिट्टी को हटाने पर मूर्ति मिली। फिलहाल मूर्ति को स्कूल परिसर में ही रखा गया है। पंचायत प्रधान बलवंत सिंह का कहना है कि सिरमौरी ताल के आसपास खुदाई के दौरान मूर्तियां निकलती रहती हैं। विडंबना यह है कि पुरातत्व विभाग ने आज तक इस जगह को गंभीरता से नहीं लिया है।
पंचायत प्रधान का कहना है कि पुरातत्व विभाग को सूचना दे दी गई है। ननसेर स्थित नाग देवता मंदिर में हनुमान, गणेश व कई देवी-देवताओं की मूर्तियां पहले मिल चुकी हैं। क्षेत्रवासियों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि मूर्तियों के रखरखाव पर भी पुरातत्व विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। यहां खुदाई में मिलने वाली मूर्तियां 13वीं शताब्दी की हो सकती हैं। टोका गांव में भी प्राचीन मूर्तियां खुले में खराब हो रही हैं।