नाहन (श्वेता शर्मा) : 54 वर्षों के बाद प्रदेश के सबसे पुराने पीजी कॉलेज को नया भवन नसीब हुआ। मगर इस भवन के निर्माण के समय कुछ बड़ी खामियां रह गई। इसकी पोल शनिवार सुबह उस समय खुली, जब प्रशासनिक ब्लॉक में आग भडक़ उठी। इसमें कॉलेज का 40 साल पुराना रिकॉर्ड स्वाह हो गया। हैरान कर देने वाली बात का खुलासा हुआ है कि भवन में शिफ्टिंग से पहले फायर विभाग से एनओसी नहीं ली गई थी। मामला गंभीर इस कारण है, क्योंकि इस कॉलेज में 3300 के आसपास छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से उचित कदम उठाए जाने चाहिए।
रिकॉर्ड की कीमत पर एनओसी की कोताही का मामला सामने आया है। समय रहते ही आग ने पोल खोल दी, अन्यथा आने वाले सालों में कोई बड़ा हादसा संभावित हो सकता था। 16 करोड़ की लागत से बनी डॉ. वाईएस परमार स्नोतकोत्तर महाविद्यालय के नए भवन का उदघाटन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 6 अक्तूबर को किया था। इस कॉलेज भवन पर कुल 25 करोड़ का बजट व्यय होना है। अभी भी कॉलेज भवन में कार्य चल रहा है। प्रदेश सरकार के आदेश पर पुराने कॉलेज भवन को मेडिकल कॉलेज को देने के चलते इसे बिना पूरी औपचारिकताएं किए बिना ही कॉलेज प्रशासन ने दो सप्ताह से नए भवन में शिफ्टिंग शुरू कर दी गई।
मौके पर आग को नियंत्रित करने पहुंचे दमकल विभाग के कर्मी उस वक्त हैरान रह गए, जब पाया कि बहुमंजिला भवन में हॉजरिल, कार्बन डाइऑक्साइड के सिलेंडर व अन्य जरूरी उपकरण मौजूद नहीं थे। काम चलाने के लिए पाउडर से भरे सिलैंडर महज औपचारिकता के लिए पाए गए। सूत्रों के मुताबिक इस तरह के भवन में आधुनिक अग्रि नियंत्रण के उपकरण लाजमी हैं। यहां तक की कॉलेज के आसपास हाईडेंटस की व्यवस्था भी होनी चाहिए। तर्क दिया गया कि फिलहाल लोक निर्माण विभाग ने कॉलेज प्रशासन को ‘ए’ व ‘बी’ ब्लॉक ही सौंपे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि इन ब्लॉक्स में भी जरूरी उपकरण क्यों मौजूद नहीं हैं।
कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. वीना राठौर ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने कॉलेज प्रशासन को ए व बी ब्लॉक ही सुपुर्द किया है। जिस प्रशासनिक ब्लॉक में आग लगी, वह अभी लोक निर्माण विभाग के पास ही है। शिक्षा सचिव के आदेश के बाद ही नए भवन में शिफ्ट किया गया है, क्योंकि पुराना कॉलेज भवन मेडिकल कॉलेज को दिया जाना है।
वहीं लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता अनिल शर्मा ने बताया कि नाहन कॉलेज के नए भवन में हॉजरिल व हाईडेंट का प्रोविजन भवन की ड्राइंग में नहीं किया गया था। इसी कारण भवन में हॉजरिल व हाईडेंट कनेक्शन नहीं लगे हैं।
उधर अग्रिशमन विभाग के फायर ऑफिसर मेहर सिंह ने बताया कि यशवंत विहार में बने डॉ. वाईएस परमार स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भवन के लिए लोक निर्माण विभाग व कॉलेज प्रशासन ने फायर एनओसी नहीं ली है।
टके के सवाल
अधिकारी अब इस मामले में पल्ला झाड़ रहे हैं। करोड़ों रुपए के कॉलेज भवन में अग्रिशमन उपकरणों को लगाने की व्यवस्था अगर ड्राइंग में नहीं थी तो इसे समय रहते संशोधित किया जा सकता था। सवाल यह भी है कि क्या अब इस हादसे के बाद लोक निर्माण विभाग समेत शिक्षा विभाग जागकर जरूरी व्यवस्थाएं करेगा। बहरहाल जब तक जरूरी उपकरण नहीं लगते तो यह माना जा सकता है कि कॉलेज का भवन बारूद के ढेर पर होगा।