नाहन (शैलेंद्र कालरा) : डॉ. वाईएस परमार कॉलेज में अव्यवस्थाओं को लेकर एक अरसे से लोगों में आक्रोश है। लेकिन आज जो बताने जा रहे हैं, उसे पढक़र आप हैरान होकर रह जाएंगे। इसके मुताबिक चंद घंटों पहले जन्मे शिशुओं को भी नहीं बख्शा जा रहा। दरअसल हुआ यूं कि करीब आधा दर्जन शिशुओं ने मेडिकल कॉलेज में जन्म लिया। इसके बाद परिजनों को मातृत्व व शिशु केंद्र (एमसीएच) में शिशुओं के टीकाकरण के लिए कहा गया।
ठंड के बीच गोद में नवजात शिशुओं को उठाकर परिजन केंद्र पहुंच गए, लेकिन आप यह जानकर भी दंग होंगे कि यहां टीकाकरण करने वाला भी कोई नहीं था। परिजन सहमे हुए भी थे, क्योंकि नवजात शिशुओं को ऐसी हालत में संक्रमण की आशंका भी रहती है। सवाल यह उठता है कि नवजात शिशुओं को टीकाकरण की सुविधा चंद मीटर की दूरी पर वार्ड में ही क्यों नहीं उपलब्ध करवाई गई। अगर नवजात शिशुओं को केंद्र में टीके के लिए भेजा भी जा रहा था तो स्टाफ सुनिश्चित क्यों नहीं किया जाता। केंद्र सरकार हर साल नवजात शिशुओं के टीकाकरण पर अरबों रुपए खर्च देती है। हाल ही में मिजल रूबैला अभियान भी इसी का हिस्सा था तो नाहन मेडिकल कॉलेज में इस तरह के हालात पैदा करने के पीछे कौन जिम्मेदार है।
हैरान करने वाली बात यह है कि सिटी स्कैन की सुविधा पिछले कई दिनों से ठप पड़ी हुई है। बीते कल भी एक मरीज को पीजीआई चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया, जिसे संभवत: अधरंग का अटैक हुआ था। शाम तक मरीज को अस्पताल में ही धक्के खिलाए गए। अधरंग के अटैक में मेडिकल साईंस के मुताबिक 4 से 5 घंटे के भीतर इंजेक्शन लाजमी होता है। जिला अस्पताल होने के वक्त यह इंजेक्शन उपलब्ध भी होने लगा था। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज का दर्जा मिलने के बाद यह सपने के बराबर हो गया है। चंडीगढ़ जाने के दौरान मरीज को अपना निजी वाहन लेना पड़ा।
आप यह जानकर भी दंग होंगे कि नाहन मेडिकल कॉलेज में सामान्य ब्लड ग्रुप भी उपलब्ध नहीं होता। प्रसूति के लिए आने वाली महिलाओं के परिजनों को इंतजाम के लिए धक्के खाने पड़ते हैं। कई दफा एमबीएम न्यूज नेटवर्क द्वारा ही खबर के माध्यम से ब्लड ग्रुप उपलब्ध करवाया जाता है।
पढि़ए, अधिकारियों का क्या है कहना…
जिस वक्त नवजात शिशु के परिजन धक्के खा रहे थे, उसी वक्त कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. जयश्री शर्मा से बात की गई तो मैडम तिलमिला कर बोली, टीके लगने शुरू हो गए हैं। पक्ष पूछने के दौरान मैडम ने यह तक कह दिया कि अगर कॉलेज नहीं चाहिए तो ताले लगवा दो। इसके बाद एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने मैडम से बात करना मुनासिब न समझते हुए फोन काट दिया। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रबोध सक्सेना से बात की गई। हालांकि जल्दबाजी में सचिव ने बात करने की कोशिश की, लेकिन हड़बड़ाहट में ही पूरी बात पूछने के बाद केवल इतना कहा कि इस मामले को देखेंगे। उन्होंने जांच के आदेश देने से इंकार कर दिया।
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