मंडी (वी कुमार): क्या एक शहादत सरकारों के लिए कोई मायने नहीं रखती, यह सवाल शहीद इंद्र सिंह की शहादत के बाद सरकारों की बेरूखी के कारण उठ रहा है। बीती नवंबर को देश की खातिर अपने प्राणों की आहूति देने वाले इंद्र सिंह के परिवार को अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिल पाई है। राज्य सरकार द्वारा शहीदों को दी जाने वाली राहत का भी अभी तक कोई ऐलान नहीं हो सका है, जिससे सरकारों की बेरूखी का पता चल रहा है।
बीती 13 नवंबर को मणीपुर में नकसलियों द्वारा बिछाए गए लैंड माईन्स पर विस्फोट के कारण पंडोह का रणबांकुरा देश की खातिर शहीद हो गया था। 35 वर्षीय इंद्र सिंह ने देश के खातिर अपने प्राणों का बलिदान तो दे दिया लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकारों को इंद्र सिंह के इस बलिदान की कोई कद्र नहीं है। शहादत को 14 दिन बीत जाने के बाद भी शहीद के परिवार को किसी प्रकार की राहत का ऐलान नहीं हो सका है। जब पार्थिव शरीर घर पहुंचा था तो उस वक्त यूनिट की तरफ से 8 हजार कैश और एक लाख रूपए की राशि ज्वाईंट अकाउंट में डाली गई थी।
इसके अलावा राज्य व केंद्र सरकार की तरफ से शहीद के परिवार को और कोई आर्थिक सहायता नहीं मिल पाई है। शहीद की पत्नी इंदु ने बताया कि प्रशासन की तरफ से घर पर आए प्रतिनिधियों ने आर्थिक सहायता की बात कही है, लेकिन अभी तक सहायता मिल नहीं पाई है। वहीं सरकार की तरफ से दी जाने वाली राहत या फिर नौकरी को लेकर कोई आश्वासन नहीं मिल पाया है।
हैरत है कि जब देश में अधिक संख्या में जवान शहीद होते हैं तो सरकारें उस वक्त माहौल शांत करवाने के लिए लाखों की राहत की घोषणाएं और अन्य सुविधाएं देने का ऐलान कर देती हैं। यहां तक कि कई बड़ी हस्तियां शहीदों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा या फिर अन्य सुविधाएं देने के लिए भी आगे आते हैं। लेकिन जब शहीदों की संख्या कम होती है तो फिर इसे भुलाने की कोशिशें होती हैं और कुछ ऐसा ही शहीद इंद्र सिंह के परिवार के साथ होता हुआ नजर आ रहा है। शहीद का परिवार इलाका वासियों की मांग पर शहीद के नाम पर पंडोह में गैस ऐजैंसी खोलने की मांग कर रहा है।
शहीद इंद्र सिंह ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है और इस बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। शासन और प्रशासन को चाहिए कि ऐसी स्थिति में परिवार को हर संभव सहायता मुहैया करवाए न कि इसे भूलने की कोशिश करे।