बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा): बजट की कमी के कारण रेल पहाड़ नहीं चढ़ पा रही। विडंबना है कि जिला प्रशासन की ओर जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया के लिए भेजी रेट अप्रूवल भी सचिवालय की फाइलों में धूल फांक रही है। अभी तक स्वीकृति न मिलने की वजह से सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी-बरमाणा -लेह रेलवे लाइन निर्माण की कवायद लटक गई है।
चुनावी माहौल में रेल लाइन निर्माण का यक्ष प्रश्न भी राजनीतिक दलों के समक्ष मुद्दा बनकर गूंज रहा है।जानकारी के मुताबिक जिला की सीमा पर दस किलोमीटर एरिया में चिन्हित किए गए दस गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में जिला प्रशासन द्वारा जन सहमति पर प्रति बीघा के हिसाब से तय किए गए जमीन के रेट देने के लिए पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव पर सरकार ने हाथ खड़े कर दिए थे। जिला प्रशासन को जनता के साथ सहमति बनाकर अब दोबारा रेट तैयार कर अप्रूवल के लिए भेजने का फरमान जारी किया गया था, जिस पर प्रशासन ने जनता के साथ रेट को लेकर सहमति बनाकर फिर से रेट अप्रूवल के लिए प्रस्ताव सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा गया है, लेकिन उस ओर से अभी तक स्वीकृति नहीं मिल सकी है।
बता दें कि प्रदेश में जिला की पंजाब राज्य से सटी सीमा के अंदर दस किलोमीटर तक जंडौरी से लेकर धरोट तक भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया गया है। स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम सदर बिलासपुर डा. हरीश गज्जू, तहसीलदार स्वारघाट जसपाल और रेलवे विकास निगम से एजीएम हेमंत कुमार के साथ ही कृषि एवं उद्यान विभागों के अधिकारियों ने जमीन के रेट फाइनल किए और जिला अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद जमीन के फाइनल रेट अप्रूवल के लिए सरकार को भेजे गए।
सूत्रों की मानें तो प्रशासन ने दस किलोमीटर एरिया में जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत जनता के साथ सहमति बनाकर तय किए गए रेट के आधार पर मुआवजा देने के लिए 88 करोड़ रुपए की डिमांड की है। सूत्र बताते हैं कि लोगों को मुआवजे के रूप में जमीन के रेट प्रति बीघा के हिसाब से 18 लाख रुपए तय किए गए हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर सरकार के योजना विभाग ने ऑब्जेक्शन लगा दिया। उस ओर से कहा गया कि यह रेट बहुत ज्यादा हैं, लिहाजा इतना रेट सरकार नहीं दे सकती।
कम से कम रेट तय कर अप्रूवल के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा था। हालांकि प्रशासन ने अब रेट अप्रूवल के लिए भेज दिए हैं, लेकिन अभी तक उस ओर से स्वीकृति न मिलने की वजह से यह काम लटक गया है। प्रशासन ने सीमावर्ती क्षेत्र में दस किलोमीटर एरिया में पहले चरण का सर्वे कार्य पूरा करने के बाद चिन्हित किए गए दस गांवों में भू-अधिग्रहण का कार्य भी पूरा कर लिया है और रेट को लेकर सहमति बना ली।
बताया जा रहा है कि भू-अधिग्रहण कार्य के लिए ग्रामीणों को मुआवजे के रूप में देने के लिए 100 करोड़ रुपए के लगभग बजट की जरूरत है, जबकि जिला प्रशासन के पास अभी महज 30 करोड़ के लगभग ही बजट है। जिला प्रशासन द्वारा जमीन का अधिग्रहण पंजाब की सीमा से सटे बिलासपुर के जंडौरी, दबट-मजारी, देहरड़ा, कांगूवाली, झीड़ा, कोटखास, नंदबैहल, टोबा-संगवाणा, नीलां, लखनू व धरोट में भू-अधिग्रहण का कार्य किया गया है।
जकातखाना में बड़ा, तो बिलासपुर में छोटा जंक्शन:-
रेल लाइन का ट्रेक भी फाइनल हो गया है और यह लाइन बिलासपुर शहर में सतलुज झील किनारे से होकर गुजरेगी। इस बाबत रेलवे लाइन निर्माण का जिम्मा संभाले रेल विकास निगम प्रबंधन ने योजना को हरी झंडी दिखा दी है। सुरंग से लेकर जंक्शन निर्माण की योजना का भी प्रारूप तैयार किया गया है। पहला रेलवे मुख्य जंक्शन जकातखाना और उसके बाद बिलासपुर में अलीखड्ड पुल के पास छोटा जंक्शन होगा, जबकि इसके बाद आगे बरमाणा को जोड़ते हुए एक मेजर जंक्शन बनाया जाएगा।
सीमा पर पहले दस किलोमीटर बिछेगी रेलवे लाइन:-
सर्वे रिपोर्ट के तहत दस किलोमीटर पंजाब राज्य तो दस किलोमीटर हिमाचल के बिलासपुर जिला में रेलवे लाइन बिछाने का कार्य शुरू किया जाना है। जिला की सीमा पर दस किलोमीटर दायरे में रेलवे निर्माण के लिए प्रशासन ने जमीन अक्वायर की है, जबकि सरकार की मंजूरी मिलने पर दूसरे चरण के बैरी तक हुए सर्वे की रिपोर्ट के आधार चिन्हित किए गए 35 गांवों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ होगी। जरूरत के अनुरूप बजट मिलने पर पटरी बिछाने की कवायद शुरू होगी।