नाहन (एमबीएम न्यूज): विधानसभा चुनाव में टिकटों की स्थिति स्पष्ट हो चुकी है। दीपावली का पर्व भी निपट गया है। लिहाजा अब हलके में बिंदल बनाम सोलंकी के बीच जंग तेज होने के आसार हैं। विधायक बिंदल सन 2000 से लगातार विधायक बनते आ रहे हैं। विधायक के तौर पर राजनीतिक पारी की शुरूआत वर्ष 2000 में सोलन विधानसभा का उप चुनाव जीत कर की थी। 2012 में नाहन का रुख किया।
बिंदल भाजपा की सरकार में सत्ता के बेहद करीब रहे। कांग्रेस ने पार्टी के जिलाध्यक्ष अजय सोलंकी को युवा होने के नाते टिकट दिया है। साथ ही पिछले सालों की वर्किंग भी सोलंकी की मैरिट बनी। एक लंबे अरसे से सोलंकी संगठन से ही जुड़े रहे। आत्मविश्वास से सरोबार सोलंकी इस बार इतिहास बनाने की फिराक में हैं। भाजपा के अनुभवी नेता को पछाडऩे के लिए म्यान से तलवार निकाल चुके हैं।
हालांकि जातीय समीकरण हावी रहेंगे या नहीं, इस बारे कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि राजपूत, मुस्लिम व कोली बिरादरी के अलावा कुछ हद तक बाहती समुदाय का समीकरण बनाने व बिगाडऩे में अहम भूमिका होगी। बिंदल को एंटी इनकंबंसी का सामना करना पड़ सकता है। नाहन विधानसभा क्षेत्र के अतीत में झांका जाए तो यह स्पष्ट है कि इस हलके को एक मर्तबा ही राज्य मंत्री मिला है। 1951 के बाद कांग्रेस ने सात बार इस सीट को जीता। जबकि 1977 व 1982 में श्यामा शर्मा जेएनपी के टिकट पर विधायक बनी थी। शर्मा ने तीसरा चुनाव 1990 में जनता दल के टिकट पर जीता।
2003 के विधानसभा चुनाव में सदानंद चौहान ने लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिन्ह पर जीत हासिल की थी। 2012 का एकमात्र ऐसा विधानसभा चुनाव रहा, जब भाजपा का फूल खिल गया। बिंदल ने एक तरफा जीत हासिल कर ली। पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा व सदानंद चौहान के अलावा कुश परमार के मैदान में होने के कारण मुकाबला चौतरफा था, लेकिन इस बार मुकाबला आमने-सामने का ही है। पिछला चुनाव चौतरफा होने का सीधा फायदा बिंदल को ही मिला था।