शिमला (एमबीएम न्यूज): सोशल मीडिया में गुडिय़ा प्रकरण का एक संदिग्ध खुद को बेगुनाह बता रहा है। बकायदा मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है। इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस बात की पड़ताल शुरू की कि आखिर पुलिस ने इस प्रकरण से जुड़े दो संदिग्धों को क्यों छोड़ दिया था। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक संदिग्ध हैप्पी व ईशान चौहान के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं था, जो अपने स्तर पर ही अस्पताल में डीएनए व अन्य सैंपल देना चाहते थे। जब कानून व्यवस्था बिगडऩे की आशंका हुई, तब पुलिस को उनकी सुरक्षा के लिए भारी बंदोबस्त करना पड़ा।
यह अलग बात है कि ईशान चौहान द्वारा सीएम को लिखे पत्र में कहा जा रहा है कि मेडिकल करवाने के लिए पुलिस लेकर गई थी। पुलिस भी इस बात से इंकार नहीं कर रही है कि मेडिकल के लिए लेकर गई थी, लेकिन यह भी स्पष्ट कर रही है कि दोनों ही संदिग्धों ने मेडिकल को लेकर सहमति दी थी। चूंकि सबूत नहीं थे, लिहाजा पुलिस अपने स्तर पर महज इसलिए मेडिकल नहीं करवा सकती थी कि सोशल मीडिया में उन्हें गुनाहगार बताया गया। जानकार यह भी बता रहे हैं कि दोनों ही संदिग्ध अपने सैंपल देना चाहते थे, ताकि उनकी बेगुनाही साबित हो सके।
गौरतलब है कि हैप्पी व ईशान की 11 जुलाई को गैंगरेप व हत्या के मामले में तस्वीरें वायरल हुई थी। आला पुलिस सूत्रों का कहना है कि संदिग्धों को हिरासत में नहीं लिया गया था, बल्कि मेडिकल करवाने के लिए सुरक्षा मुहैया करवानी पड़ी थी, क्योंकि उन्हें हरेक व्यक्ति पहचानने लगा है। पुलिस सूत्रों का यह भी कहना है कि अगर अन्य संदिग्ध मेडिकल करवाना चाहते हैं तो यह उनकी अपनी मर्जी है। उधर गैंगरेप के एक आरोपी आशीष चौहान को 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिय गया है।
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि बेशक ही सरकार ने घटना की जांच सीबीआई को सौंप दी है, लेकिन एसआईटी को भंग नहीं किया गया है। सनद रहे कि सोशल मीडिया में चल रही एक खबर के मुताबिक ईशान चौहान ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि वह अमीर घर का नहीं है। न ही कोई बैंक बैलेंस है। हरेक जांच के लिए तैयार है।