नाहन (शैलेंद्र कालरा) : प्रदेश के निर्माता डॉ. वाईएस परमार की जन्मस्थली बागथन में रूट स्टॉक की प्लांटेशन में करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि एमबीएम न्यूज नेटवर्क घोटाले के पूरा होने से पहले ही बागवानी विभाग की इस करतूत का पर्दाफाश कर रहा है। दरअसल विभाग ने इटली से सेब व अन्य किस्मों के 93 हजार रूट स्टॉक को आयात किया है। इसे ऑफ सीजन में ही बागथन फार्म में धड़ाधड़ प्लांट किया जा रहा है। गत वर्ष 56 हजार पौधे मंगवाए गए थे, जिन्हें बागवानों को 300 रुपए प्रति पौधे की कीमत से बेचा गया।
हैरतअंगेज बात यह है कि इटली से 0 तापमान पर इस रूट स्टॉक की खेप को आयात किया गया है, जिसे परवाणु के कोल्ड स्टोर में रखा गया है। प्लांटेशन के वक्त बागथन का तापमान 25 से 30 डिग्री के बीच है। सोचिए, यह रूट स्टॉक कैसे कामयाब होगा। सूत्र बता रहे हैं कि इस कारगुजारी से खुद विभाग के आलाधिकारी दंग हैं। टॉप से बॉटम तक अंदरखाते हडकंप मचा हुआ है, क्योंकि इस रूट स्टॉक के बागवानों के बगीचों में कामयाब होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अब तक 10 से 15 हजार रूट स्टॉक की प्लांटेशन हो चुकी है।
आप सोच रहे होंगे कि रूट स्टॉक क्या है। दरअसल विदेश से ग्राफ्टिंग के बाद इसे मंगवाया जाता है, जो उच्च किस्म के होते हैं। इन्हें विभाग बागवानों को बेचता है। सूत्र बता रहे हैं कि धड़ाधड़ प्लांटेशन के बाद इन्हें बागवानों के माथे मढ़ा जा सकता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इटली से विभाग ने कितना धन खर्च कर इस रूट स्टॉक को मंगवाया है। बहरहाल यह मान लिया जाए कि एक पौधे का खर्चा फार्म तक पहुंचने का 300 रुपए है तो इसकी कीमत पौने तीन करोड़ रुपए के आसपास हो सकती है।
इस समूचे मामले में एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने नीचे से लेकर आलाधिकारियों तक संपर्क साधने की कोशिश की। सिरमौर में बागवानी विभाग के उपनिदेशक आरएल कपिल ने फोन पिक नहीं किया। इसके बाद विभाग के निदेशक एचएस बवेजा को दो मर्तबा मोबाइल नंबर पर संपर्क करने का प्रयास हुआ, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। बहरहाल राजगढ़ में विभाग के एसएमएस उजागर सिंह तोमर से बात हुई तो उनका कहना था कि इस बारे आलाधिकारी ही जवाब दे सकते हैं।
इसी बीच विभाग के पीआईयू (Project Implementation Unit) के समन्वयक डॉ. एमएम शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे उनकी कोई भी जवाबदेही नहीं बनती है। बहरहाल यह जरूर माना कि ऑफ सीजन है।
कैसे लगेगा बागवानों को बड़ा चूना…
दरअसल फरवरी में इन पौधों को बागवानों को बेच दिया जाएगा। सवाल यह है कि जब रूट स्टॉक या विप प्लांट लगने से पहले ही अंकुरित हो चुके हैं तो यह बागवानों के बगीचों में पहुंंच कर कैसे सफल होंगे। यानि इस करतूत का खमियाजा बागवानों को भुगतना पड़ेगा।