शिमला, 10 नवंबर : सत्ता की चाबी वाले जिला कांगड़ा के मुख्यालय धर्मशाला में राजनीतिक माहौल अपने चरम पर है। धर्मशाला से कांग्रेस ने कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने राकेश चौधरी को उम्मीदवार बनाकर पुराने उम्मीदवार विशाल नैहरिया का टिकट काट दिया। नैहरिया गद्दी जाति से ताल्लुक रखते हैं। वहीं, वर्तमान भाजपा उम्मीदवार राकेश चौधरी का संबंध ओबीसी वर्ग से है। इस हाॅट सीट पर भाजपा को बगावत का भी सामना करना पड़ रहा है। अंतिम समय तक तमाम मान-मनौव्वल के बावजूद भाजपा के बागी विपिन नैहरिया ने निर्दलीय रूप से चुनावी मैदान में ताल ठोक दी।
वहीं, टिकट कटने के बाद विशाल नैहरिया चुनावी परिदृश्य से गायब हैं। कांग्रेस उम्मीदवार सुधीर शर्मा दिवंगत पूर्व मंत्री पंडित संतराम के सुपुत्र हैं, उनका ताल्लुक बैजनाथ से है। डिलिमिटेशन के बाद बैजनाथ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हो गया, जिसके चलते सुधीर शर्मा ने धर्मशाला का रुख किया।
2017 में सुधीर शर्मा पुराने भाजपा दिग्गज किशन कपूर से चुनाव हार गए। बाद में किशन कपूर 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए। उनके संसद में जाने के बाद हुए उपचुनाव में सुधीर शर्मा ने चुनाव नहीं लड़ा। यहां से विशाल नैहरिया भाजपा के टिकट पर विजयी हुए। अब परिस्थितियां बदली हुई हैं। इस दफा मुकाबला ज्यादा कड़ा नहीं है, क्योंकि भाजपा की आपसी फूट इस सीट पर जग जाहिर हो चुकी है। इसके चलते सुधीर शर्मा की राह आसान लग रही है।
2012 में सुधीर शर्मा ने धर्मशाला से पहली बार मैदान में उतर कर बंपर जीत दर्ज की। भाग्य का इतना बड़ा साथ मिला कि पहली दफा में ही सुधीर शर्मा शहरी विकास जैसे मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री बने। उन्होंने दबाकर विकास कार्य करवाए। इसके अलावा यहां राजपूत बिरादरी के कुलवंत सिंह राणा आम आदमी पार्टी की तरफ से चुनावी मैदान में हैं।
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क्या रहा चुनावी इतिहास…
धर्मशाला से किशन कपूर भाजपा के टिकट पर पहली दफा 1990 में चुनाव जीते। इसके बाद उन्होंने 1993 व 1998 में जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई। 2003 में कांग्रेस ने यहां से थुरल राज परिवार की महिला नेत्री चंद्रेश कुमारी को चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने किशन कपूर के विजयी रथ को रोक दिया। वह स्वास्थ्य मंत्री भी रही। 2007 में किशन कपूर फिर विजयी हुए।
2012 में डिलिमिटेशन के बाद सुधीर शर्मा ने धर्मशाला से पहली बार चुनाव जीता। 2017 में उन्हें किशन कपूर से हार का सामना करना पड़ा। उप चुनाव में विशाल नैहरिया यहां से जीते।
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क्या है जातिगत गणित व मुद्दे…
धर्मशाला में गद्दी व ओबीसी समुदाय के वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। राजपूत, ब्राह्मण व गोरखा समुदाय का वोट भी यहां डिसाइडिंग फैक्टर है। सुधीर शर्मा के जाने के बाद यहां विकास कार्यों की गति को विराम लग गया। उन्होंने शहरी विकास मंत्री रहते हुए धर्मशाला के लिए अनेकों योजनाएं लाई। धर्मशाला को सैटेलाइट टाउन, स्मार्ट सिटी बनाने के अलावा इसे नगर निगम का दर्जा भी दिलवाया। वहीं, तपोवन में विधानसभा का शीतकालीन सत्र चलाने के लिए भी उनका योगदान माना जाता है।
भाजपा प्रत्याशी राकेश चौधरी के पास 85.50 लाख की संपत्ति
भाजपा प्रत्याशी राकेश चौधरी (44) का परिवार 85.50 लाख की संपति दर्ज है। इसमें 52 लाख की चल और 33.50 लाख की अचल संपत्ति है। राकेश चौधरी ने नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में यह जानकारी दी है। राकेश चौधरी के पास साढ़े तीन लाख और पत्नी के पास साढ़े सात लाख के गहने हैं। इसके राकेश के पास दो कारें और एक स्कूटी भी है। उन पर 1.66 लाख का कार लोन भी है। राकेश चौधरी ने धर्मशाला कॉलेज से वर्ष 1998 में बीकॉम की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने अपना पेशा सरकारी ठेकेदार बताया है। साथ ही वह शराब के एक ठेके में पार्टनर भी हैं।
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कांग्रेस के सुधीर शर्मा के पास अथाह संपत्ति, लग्ज़री गाड़ियों के शौकीन
धर्मशाला के चुनावी रण में पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा कांग्रेस की टिकट पर मैदान में हैं। 50 वर्षीय सुधीर शर्मा का परिवार साढ़े आठ करोड़ का मालिक है। चुनावी हलफनामे में उन्होंने चल संपत्ति 3.43 करोड़ और अचल संपत्ति 5.08 करोड़ दिखाई है। सुधीर शर्मा लग्जरी गाड़ियों के शौकीन हैं। उनके पास एक लैंडरोवर सहित तीन गाड़ियां हैं। उनके नाम 1.18 करोड़ और पत्नी के नाम 2.24 करोड़ की चल संपत्ति है। सुधीर शर्मा के पास नौ लाख और पत्नी के पास 58 लाख के गहने हैं। उनके नाम 5.08 करोड़ और पत्नी के नाम नौ लाख की अचल संपत्ति है। सुधीर शर्मा पर 60.44 लाख का कार और हाउस लोन है। उन्होंने वर्ष 1997 में डीएवी कॉलेज चंडीगढ़ से बीए की है।
निर्दलीय विपन कुमार नेहरिया 2.74 करोड़ के मालिक
भाजपा को टिकट न मिलने से रूठे विपन कुमार नेहरिया निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 37 वर्षीय विपन कुमार नेहरिया करोड़पति हैं। उन्होंने चुनावी हलफनामे में कुल चल व अचल संपत्ति 2.74 करोड़ दिखाई है। उनके पास 24 लाख की चल और 2.50 करोड़ की अचल संपत्ति है। अचल संपति में कृषि भूमि, गैर कृषि भूमि, कमर्शियल भवन व रिहायही भवन से आय शामिल है।
आंकड़ों में धर्मशाला निर्वाचन क्षेत्र…
1998 में किशन कपूर ने 48.94 प्रतिशत मत हासिल कर जीत दर्ज की। कांग्रेस के रामस्वरूप को मात्र 39 प्रतिशत मत हासिल हुए। 2003 में कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी ने 52.04 प्रतिशत मत हासिल कर विजय प्राप्त की। वहीं, भाजपा के किशन कपूर को 40.03 प्रतिशत मतों के साथ दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। 2007 में किशन कपूर लगभग 8 हजार वोटों से जीत कर विधानसभा पहुंचे।
यहां बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पूर्व कांग्रेसी नेता मेजर विजय सिंह मनकोटिया ने 11,331 मत हासिल कर कांग्रेस प्रत्याशी को हरवाने में अहम भूमिका अदा की। 2012 में सुधीर शर्मा ने पहली बार यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर 44.64 प्रतिशत मत हासिल कर जीत दर्ज की। वहीं, भाजपा के किशन कपूर को 34.13 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए। 2017 में किशन कपूर ने 45.69 प्रतिशत मत हासिल किए। जबकि सुधीर शर्मा 40.43 प्रतिशत मत हासिल कर चुनाव हार गए।
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सबल व निर्बल पक्ष….
कांग्रेस प्रत्याशी सुधीर शर्मा बहुत ही सौम्य स्वभाव के मंजे हुए राजनीतिज्ञ हैं। खासकर बुजुर्गों में वह काफी लोकप्रिय हैं। धर्मशाला को मंत्री रहते हुए उन्होंने विकास की राह पर दौड़ाया। 2012 में हलके के लोग उन्हें हराने के बाद काफी पश्चाताप में रहे, क्योंकि उनके द्वारा शुरू किए गए सभी विकास कार्य ठप होकर रह गए।
निर्बल पक्ष में उनका सिर्फ एक ही मामला सामने आता है कि उन्होंने वर्ष 2019 में उप चुनाव में लड़ने से मना कर दिया था। जिस कारण कुछ लोग उनसे काफी नाराज हुए। वहीं, भाजपा के राकेश चौधरी को नया उम्मीदवार होने के चलते ज्यादा लोग नहीं जानते। वहीं, गद्दी समुदाय के विपिन नैहरिया के निर्दलीय मैदान में उतरने से उन्हें गद्दी समुदाय के वोटों से वंचित रहना पड़ सकता है। सुधीर शर्मा के राजनीतिक कद के आगे उन्हें काफी कमजोर आंका जाता है। वहीं, गद्दी व ओबीसी वोटरों में धु्रवीकरण के चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।