नाहन/अंजू शर्मा : हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) नजदीक आ रहे हैं। सभी पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रही है। जिला सिरमौर के शिलाई के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कमरऊ के घड़वाधार गांव में पिछले 40 वर्षों से सड़क की मांग की गई, लेकिन आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई।
ग्रामीणों ने राजनीतिक दलों के नेताओं के किए गए वादे पूरे न होने पर अपनी मांगों को लेकर वोट नहीं देने का फरमान जारी कर दिया है। कमरऊ, घड़वाधार गांव में रोड नहीं तो वोट नहीं को लेकर ग्रामीणों ने चुनाव के बहिष्कार (Poll Boycott) की चेतावनी दी है।
सदर विधानसभा क्षेत्र के कमरऊ पंचायत के घड़वाधार गांव के ग्रामीण कई वर्षों से रोड न बनने से नाराज हैं। मामले को लेकर ग्राम प्रधान और विधायक को भी बार-बार अवगत करवाया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार उच्च अधिकारियों को भी इस मामले में शिकायतें दी गई, लेकिन इसके बावजूद भी सिर्फ आश्वासन ही मिला है। इसी के मध्यनजर अब ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है।
उन्होंने कहा कि नेता बोलते रहे कि हम गांव को सड़क देंगे, लेकिन वोट बटोरने के बाद किसी नेता के दर्शन तक नहीं हुए। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव से 6 महीने पहले ही प्रशासन को समस्या बता दी थी। राजनेताओं को भी बार-बार सड़क बनाने की मांग का ज्ञापन दिया था, लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। मजबूरन पूरे गांव के लोग वोट बहिष्कार के लिए मजबूर हो गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि घड़वाधार गांव के लिए पक्का रास्ता तक नहीं बना। हालत ऐसी है कि बरसात के दिनों में यह रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है। जिससे पढऩे वाले स्कूली बच्चे और आने-जाने वाले लोगों सहित बुजुर्गों को काफी परेशानी होती है। वहीं मरीजों को 7 से 8 किलोमीटर तक पीठ पर उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। इस परेशानी को लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन कर रोड नहीं तो वोट नहीं की चेतावनी दी है।
वहीं, घड़वाधार गांव के रहने वाले जीत सिंह, आत्मा राम शर्मा, जगत सिंह ठाकुर, सुंदर सिंह, मुंशी राम, नैन सिंह शर्मा, इंद्र सिंह ठाकुर, जय सिंह ठाकुर, दीप राम शर्मा, बहादुर सिंह शर्मा, शांति राम शर्मा, दलीप चौहान, सुरेंद्र सिंह शर्मा एवं जय प्रकाश ठाकुर आदि ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि बाशिंदे सड़क सुविधा न होने से पलायन कर रहे हैं। गांव में पहले करीब 50 परिवार रहते थे, अब 30 परिवार ही शेष रह गए हैं। ये परिवार भी महज खेतीबाड़ी के लिए गांव में रहने को मजबूर है। घड़वाधार के लिए कमरऊ से 6-7 किलोमीटर का पैदल सफर जंगल के बीच से तय कर गांव तक पहुंचना पड़ता है। कई बार सड़क के लिए पंचायत से लेकर नेताओं तक आग्रह किया गया, लेकिन इस बार ग्रामीण किसी के बहकावे में नहीं आएंगे।