नई दिल्ली, 14 मई : देश की राजधानी दिल्ली की सबसे हाॅट सीट उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भाजपा के मनोज तिवारी को कांग्रेस के कन्हैया से कड़ी चुनौती मिल रही है। वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई इस सीट पर भाजपा के मनोज तिवारी ने लगातार दो बार जीत दर्ज की है। तिवारी ने यहां से पहली दफा चुनाव लड़कर दिल्ली की दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत शीला दीक्षित को हराकर सबको अचंभित कर दिया था।
पिछले चुनाव में तिवारी ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को काफी बड़े मार्जिन से हराया था। मगर इस दफा हालात बदले हुए हैं। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में इस सीट पर अपने तेजतर्रार युवा उम्मीदवार व छात्र नेता रहे कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाकर मनोज तिवारी की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
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पिछली दफा मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी के दलीप पांडे को 25 प्रतिशत मतों के अंतर से पराजित किया था। इस लोकसभा क्षेत्र में 10 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें अधिकतर आबादी पूर्वी यूपी व बिहार से है। मनोज तिवारी भोजपुरी फिल्मों के अलावा गायन के क्षेत्र में भी काफी लोकप्रिय हैं। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या चुनाव क्षेत्र में सक्रियता में कमी बन रही है। वोटरों में इस बात को लेकर काफी नाराजगी है कि उन्होंने अपने दो बार के सांसद कार्यकाल में विकास कार्यों की तरफ ध्यान नहीं दिया।
दूसरा इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी की संख्या भी काफी है। क्योंकि कन्हैया कुमार काफी तेजतर्रार छात्र नेता रहे हैं, जो इन सब मुद्दों को जनता के बीच ले जाकर तिवारी के खिलाफ लगातार भुना रहे हैं। कुराड़ी, तिमारपुर, सीमापुरी, रोहतास नगर, सिलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकुलपुर, मुस्तफाबाद व करावल नगर विधानसभाओं में दोनों उम्मीदवारों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। दोनों उम्मीदवार बड़े नेताओं को न लाकर छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाओं के द्वारा लोगों को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं।
कन्हैया इन सब चुनावी तिकड़मों में मनोज तिवारी पर भारी पड़ रहे हैं। तिवारी के साथ एन्टी इनकमबंसी फैक्टर होने के कारण उन्हें कई जगहों पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कन्हैया कुमार के खिलाफ तिवारी के पास दो प्रमुख मुद्दे हैं, जिनमें उन पर बिहार के बेगुसराय से हारा हुआ प्रत्याशी बताने के अलावा टुकड़े-टुकड़े गैंग से जुड़े होने का आरोप लगाया जा रहा है।
कन्हैया विकास के नाम पर इस मुद्दे को काउंटर कर रहे हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने सत्तारूढ़ रहते हुए शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम किया है। मगर अन्य मूलभूत सुविधाओं का इस क्षेत्र में अभी भी अभाव है, जिसका सीधा-सीधा उत्तरदायित्व मनोज तिवारी का माना जाता है। उन पर आरोप लगता है कि वह सांसद होते हुए क्षेत्र के लिए कोई बड़ी योजना लेकर नहीं आए।
गरीबी से नीचे रहने वाले वोटरों में तिवारी के खिलाफ इस बार काफी नाराजगी है। वह चुनाव क्षेत्र से अक्सर गायब रहते हैं। वहीं, कन्हैया आम आदमी पार्टी के कार्यों के अलावा अपनी उपलब्धता का वायदा भी लोगों से कर रहे हैं। बेगुसराय से अपनी हार पर उन्हें सफाई देनी पड़ रही है। भाषा पर पकड़ के चलते फिलहाल वह मनोज तिवारी के खिलाफ जनसभाओं में खूब तालियां बटोर रहे हैं। यहा फेज-6 में 25 मई को मतदान होना है।
अरविंद केजरीवाल की रिहाई से भी कन्हैया को चुनावी लाभ मिलने के आसार बन गए हैं। हालांकि, तिवारी के समर्थक भी चुनाव में पूरी ताकत लगा रहे हैं। मगर इस दफा कन्हैया की चुनौती से पार पाना उनके लिए मुश्किल नजर आ रहा है।
@R1