नाहन: बिजली बोर्ड में बतौर कनिष्ठ अभियंता लगभग 5 साल तक अपनी सेवाएं दे चुके सुखराम चौधरी आज हिमाचल के ऊर्जा मंत्री बन गए हैं। 15 अप्रैल 1964 को पावंटा साहिब(Paonta sahib) के अमरगढ़ में जन्मे सुखराम चौधरी(Sukhram Choudhry) ने इंटरमीडिएट के बाद इलेक्ट्रिकल ट्रेड में आईटीआई डिप्लोमा हासिल किया। 1982 से 1994 तक बिजली बोर्ड(HP electricity board) में टेलेफोनिस्ट के तौर पर कार्य किया, इसके बाद 1994 से 1998 में जूनियर इंजीनियर रहे। उल्लेखनीय है कि मुसाफिर ने भी वन विभाग के डिप्टी रेंजर के पद से फारेस्ट मिनिस्टर का सफर तय किया था।
बीती रात जयराम सरकार(Jairam government) ने मंत्रियों के विभाग आवंटित किए साथ ही फेरबदल भी किया। इसमें सुखराम चौधरी को ऊर्जा मंत्रालय मिला है। 1998 में राजनीति शुरू करने वाले चौधरी अपना पहला चुनाव में 2400 मतों के अंतर से हार गए थे। अगले चुनाव में जीत तो हासिल की, लेकिन प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज हो गई। दूसरी बार 2007 में धूमल सरकार के वक्त मुख्य संसदीय सचिव(CPS) का ओहदा मिला। 2012 में हैट्रिक बनाने से चूक गए। निर्दलीय प्रत्याशी किरनेश जंग (Ex MLA Kirnesh Jung) से मात्र 690 मतों से हार का सामना करना पड़ा। बाहती समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुखराम चौधरी पार्टी में ओबीसी(OBC) चेहरा तो है ही साथ ही पूर्व मुख्य मंत्री प्रेम कुमार धूमल के(Prem Kumar Dhumal) भी करीबी है। पार्टी में बतौर जिला अध्यक्ष भी सेवाएं प्रदान करने का अनुभव हासिल है। 2017 के चुनाव में 12690 मतों से जीत हासिल की साथ ही हाल ही के लोकसभा चुनाव में मैं भी पार्टी को सबसे अधिक लीड दिलवाने में सफल रहे थे। शिमला संसदीय सीट पर भाजपा को प्रतिशतता के लिहाज से काफी लीड मिली थी।
चौधरी के मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने के कई कारण माने जा रहे हैं। पहला यह कि वह ओबीसी वर्ग से है, दूसरा यह कि लोकसभा चुनाव में भी बेहतरीन लीड दिलवाई थी, इसके अलावा धूमल के करीबी हैं। तीसरा यह था कि पार्टी अब सिरमौर में एक नया चेहरा तलाश करने की कोशिश कर रही थी। बता दें कि सिरमौर(Sirmour) को लगभग 17 साल बाद मंत्री मिला है। 2003 में कांग्रेस नेता जीआर मुसाफिर मंत्री बने थे। हालांकि इसके बाद सिरमौर को दो विधानसभा अध्यक्ष मिले। वीरभद्र सरकार में गंगूराम मुसाफिर(GR Mussafir) ने विधानसभा अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा किया। हालांकि जयराम सरकार ने भी नाहन के विधायक डॉ राजीव बिंदल(Dr Rajiv bindal) को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी, लेकिन अल्प समय में ही इस्तीफा ले लिया गया। संगठन के लिहाज से बिंदल को पार्टी अध्यक्ष पद का जिम्मा सौंपा गया, लेकिन सवा 4 महीने के आसपास बिंदल को इस पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। शिलाई से दिवंगत ठाकुर गुमान सिंह भी मंत्री रह चुके हैं, जिनके ट्रांसपोर्ट मंत्री रहने के दौरान ही नाहन का बस स्टैंड बना था। इस समय दिवंगत ठाकुर गुमान सिंह का बेटा हर्ष वर्धन ही विधायक है, 1977 में श्यामा शर्मा भी मंत्री बनाई गई थी।
उधर कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी ने शपथ ग्रहण करने के बाद कहा था कि हालांकि विभाग का आवंटन मुख्यमंत्री का अधिकार क्षेत्र है, लेकिन ऊर्जा मंत्रालय की इच्छा भी जताई थी। हालांकि अब बिजली परियोजनाओं को लेकर समूचे प्रदेश की जिम्मेदारी होगी, लेकिन अपने गृह जिला सिरमौर में भी श्री रेणुका जी बांध परियोजना लंबे अरसे से अटकी हुई है, यहां तक कि प्रदेश के राज्यपाल ने भी इस बाबत केंद्र को पत्र लिखकर जल्द से जल्द इस परियोजना को शुरू करने का आग्रह किया था। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार में मंत्रिमंडल प्रदेश अध्यक्ष के अलावा कुल ओहदे सिरमौर के हिस्से आ गए हैं। पच्छाद से बलदेव भंडारी व शिलाई से बलदेव तोमर भी बड़े पदों पर आसीन हैं।
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हालांकि चौधरी शुक्रवार को शिमला से घर के लिए निकल गए थे लेकिन विभाग तय नहीं हुआ था। नाहन में ही रात्रि ठहराव के दौरान ऊर्जा मंत्रालय मिलने की जानकारी आ गई। लिहाजा आज जब अपने पैतृक क्षेत्र पावंटा साहिब पहुंचे तो विभाग भी मिल गया है।