मोक्ष शर्मा/नाहन
हर माता-पिता चाहते हैं, बेटा-बेटी पढ़ लिखकर खूब नाम कमाएं। बच्चा अगर पढ़ाई में कामयाब न हो रहा हो तो परिवार निराश हो जाता है। लेकिन इन पंक्तियों को 43 बरस के हो चुके अजय कांत अग्रवाल उर्फ मुन्ना ने झुठला कर दिखाया है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क पाठकों को प्रेरक खबरों से मुखातिब करवाता है। प्रेरक के तौर पर अजय कांत अग्रवाल बिलकुल उपयुक्त पाए गए।
दरअसल दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद अजय कांत ने ऑटो मोबाइल के पेशे को अपनाने का फैसला लिया। मारूति के ब्रांड की हर कार की नब्ज चंद सैकेंड में पकडऩे में माहिर अजय को शुरूआती चरण में 1992 से 1996 तक एक गैरेज में मैकेनिक के तौर पर काम करना पड़ा। 1996 में जोखिम उठाकर अपना गैरेज खोलने का फैसला लिया। आप यह जानकर दंग हो जाएंगे कि 22 साल पहले महज 100 फीट की दुकान में गैरेज शुरू करने वाला मुन्ना आज एक कामयाब शख्सियत है।
करीब पांच हजार स्कवेयर फीट में मारूति का ऑथोराइज्ड सर्विस स्टेशन चला रहे हैं। हर माह औसतन 350 वाहनों की खराबी को लेकर नब्ज टटोलते हैं। 2001 में मारूति उद्योग ने मुन्ने की काबलियत को स्वीकार किया था। इसी के बूते मारूति का ऑथोराइज्ड सर्विस स्टेशन मिल गया। हर साल करीब 75 लाख का टर्नओवर करने वाले अजय कांत अग्रवाल जहां 22 साल पहले खुद एक मैकेनिक के तौर पर कार्य करते थे, वहीं आजे परोक्ष तौर पर 9 कर्मचारियों को रोजगार दे रहे हैं, जबकि अपरोक्ष संख्या 10 है। यानि 19 परिवारों का पालन-पोषण चल रहा है।
22 अप्रैल 2004 को देहरादून की निशा से परिणय सूत्र में बंधे अजय कांत बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के संदेश को भी बखूबी दे रहे हैं। अपनी दो बेटियों आरना व अनंता को बेटों की तरह लाड़ देते हैं। 1980 में अपने पिता को खो चुके अजय कांत अपने जीवन की सफलता का श्रेय अपनी मां संतोष अग्रवाल के अलावा पत्नी निशा कांत अग्रवाल को भी देते हैं। कुल मिलाकर एक मैकेनिक से कैरियर शुरू करने वाले अजय कांत आज शहर में सफलता की मिसाल हैं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए अजय कांत ने कहा कि जीवन के संघर्ष में कई बार पथ से भटके भी, लेकिन भगवान के आशीर्वाद से सही मार्ग की दिशा मिल गई। उन्होंने कहा कि सफलता में दोस्तों का भी अहम योगदान रहता है।
व्यवसाय के अलावा…
सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक कार्य करने की क्षमता रखने वाले अजय कांत अग्रवाल करीब 4-5 साल से चूड़ेश्वर सेवा समिति से भी जुड़े हुए हैं। नाहन यूनिट के कोषाध्यक्ष के तौर पर कार्य कर रहे अजय कांत चूड़धार चोटी पर विकास व भंडारे इत्यादि की व्यवस्था को लेकर अहम भूमिका निभाते हैं। व्यक्तिगत तौर पर खुद भी 20 से 22 बार चूड़धार जा चुके हैं।