धर्मशाला (एमबीएम न्यूज़) : मौजूदा परिदृश्य में युवा पीढी सरकारी नौकरियों के पीछे पडी हुई है। लेकिन यहां बात हो रही है जितेंद्र सिंह कश्यप की। देश की नामी कंपनी ओएनजीसी में अच्छी खासी नौकरी कर रहे थे लेकिन अचानक ही खुद का कारोबार करने का फैसला ले लिया। बखूबी जानते थे कि कांगडा घाटी में पुष्प उत्पादन की अपार संभावनाएं है। यहां से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम पंचायत टंग नरवाणा का गांव अन्दराड़। यहीं रहते हैं प्रगतिशील, मेहनतकश और क्षेत्र के लिए अनूठी मिसाल बने किसान जितेन्द्र सिंह कश्यप। बंधी बंधाई नौकरी छोड़ी और लम्बे समय से पुष्प उत्पादन का कार्य आरम्भ कर स्वरोजगार की अपनी चाह की राह ले ली। देखते ही देखते फूलों की खेती से उनके जीवन की बगिया महकने लगी। अब वे हर वर्ष इतना कमा रहे हैं कि अपने परिवार की अच्छे से जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ उन्होंने चार अन्य घरों को भी रोजगार दिया है।
धुन के पक्के जितेंद्र सिंह कश्यप ने फूल की खेती से जुडी जानकारी जुटाई। फिर फूलों के उत्पादन के लिए हाईटैक टयूबलर फैन पैड के साथ पॉली हाउस् लगाने का निर्णय लिया। उद्यान विभाग से 85 प्रतिशत अनुदान प्राप्त कर उन्होंने अपना पॉली हाउस लगाया। काम शुरू करने के लिए उन्होंने बैंक से 15 लाख रूपये का ऋण लिया तथा इस पर भी प्रदेश सरकार से उन्हें 3.25 लाख रूपये की सब्सिडी मिली।
शुरूआत में जितेन्द्र ने पॉली हाउस में 50 हजार लिलियम के पौधे लगाए, अच्छे से देख-रेख की और पहली ही बार वर्ष 2015 में उन्होंने 5 लाख के फूल बाजार में बेचे। जितेन्द्र की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक वे बीते दो सालों में फूलों से 25 लाख रुपए के करीब का कारोबार कर चुके हैं, जबकि इस वर्ष फूलों की कटाई का कार्य अभी शुरू ही हुआ है।
जितेन्द्र बताते हैं कि एक बार बीज लगाने के उपरांत साल में तीन बार फूलों की फसल तैयार होती है, जिसके बाद नये सिरे से फूल का बीज डालकर पुष्प उत्पादन किया जाता है। अब उन्होंने 4000 वर्ग मीटर में फूलों की खेती के लिए पॉली हाउस स्थापित किया है जिसमें एक लाख लिलियम के पौधे लगाए हैं।
वे बताते हैं कि चामुण्डा से चलने वाली राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में फूलों को दिल्ली भेजा जाता है। इस प्रकार फूल कम दाम और कम समय में मंडियों तक पहुंच जाते हैं और पुष्प उत्पादक बिचौलियों के हाथों में न फंसकर अपने उत्पाद का पर्याप्त मूल्य हासिल करते हैं। राज्य परिवहन निगम ने फूलों को दिल्ली स्थित मंडियों तक पहुंचाने के विशेष प्रबंध किये हैं।
जितेन्द्र बताते हैं कि फूलों को बाजार में भेजने से पहले उन्हें आकर्षक रूप से पैक किया जाता है। फूलों की पैकिंग के लिए 4 और लोगों को रोजगार दिया है।
बहरहाल जितेन्द्र कुमार राज्य सरकार की योजनाओं के सफल कार्यान्वयन और सही दिशा में की गई मेहनत के सुखद परिणामों की जीती जागती मिसाल है। उनकी सफलता की कहानी अनेकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हो रही है और बड़ी संख्या में लोग स्वरोजगार लगाने को प्रेरित हो रहे हैं।