नाहन, 22 जून : 16 जून….समय सुबह 3ः00 बजे….तीन दोस्तों की टोली बस स्टैंड पर एक खास जिद लेकर पहुंची थी। वो जिद थी, हिमाचल प्रदेश के नाहन से चूड़धार चोटी की पैदल यात्रा। एक दोस्त की तो ये भी जिद थी कि वो ये यात्रा नंगे पांव करेगा। टीम कप्तान विक्रम को पहले भी दो बार पैदल यात्रा का तजुर्बा था। जैसे-जैसे दोस्तों की टोली आगे बढी तो सुबह 7 बजे के बाद सड़क पर पांव रखना भी दूभर था। गर्मी बढ़ती जा रही थी। खैर, 40 से 42 डिग्री तापमान को सहन करते हुए ये दोस्त ददाहू पहुंच गए।
धीरे-धीरे ददाहू से आगे मौसम राहत देने वाला मिला। संगड़ाह में रात्रि ठहराव हुआ। 17 जून की सुबह तक भी सब कुछ ठीकठाक था। 18 जून का फैसला था…इसी दिन चूड़धार चोटी पर विराजमान भगवान शिरगुल देवता के दर्शन करने के बाद बेस कैंप लौट आएंगे। वापसी का सफर कांटो भरा था। कटोला के कमल कुमार व लक्की गौड़ का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। खैर, टीम कप्तान विक्रम ने हिम्मत रखते हुए दोस्तों को 18 की शाम नौहराधार पहुंचा दिया।
19 की सुबह विक्रम ने कमल व लक्की को बस में नाहन भेजने की व्यवस्था करवाई। दोपहर डेढ़ बजे खुद नौहराधार से नाहन का पैदल सफर शुरू कर दिया। गिरीपार का इलाका नापने के दौरान ही बारिश ने कदम रोक दिए, लिहाजा टौंडा व सियूं के बीच में कोटला गांव में विक्रम को रात्रि ठहराव करना पड़ा। सुबह 6 बजे कोटला से सफर शुरू हुआ। 12 घंटे से भी कम वक्त में खतरनाक पहाड़ी पगडंडियों पर सफर तय करते हुए विक्रम रात 8 बजे के करीब नाहन के महलात पर पहुंच गया। यहां पहुंचते ही एमबीएम न्यूज नेटवर्क कार्यालय में पूरी यात्रा का वृतांत सुनाया।
गौरतलब है कि नाहन की ऊंचाई समुद्रतल से करीब-करीब 3 हजार फीट है। वहीं, चूड़धार चोटी की ऊंचाई 11,500 फीट से अधिक है।
नौहराधार से नाहन तक 15 घंटे….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में जलापड़ी के रहने वाले विक्रम ने कहा कि 15 घंटे के भीतर पैदल नौहराधार से नाहन पहुंचा जा सकता है। उनका कहना था कि बोगधार से सीधा सियूं की उतराई उतरी। ये गिरीआर व गिरीपार की सीमा है। गिरी नदी को पार करने के बाद वो सीधा सैनधार के इलाके में दाखिल हुआ। सीधी चढ़ाई चढ़ने के बाद महीपुर पहुंचा। वहां से पैदल ही जमटा का शॉर्टकट लिया। विक्रम ने कहा कि नौहराधार से नाहन तक आने के दौरान दशकों पुरानी पगडंडियों को तलाशने में भी काफी रोमांच आया। एक वक्त पहले इन्हीं रास्तों से लोग पैदल आया करते थे, लेकिन अब ये रास्ते बंद हो चुके हैं।
इसके बाद शाम 8 बजे के आसपास नाहन पहुंच गया था। विक्रम के मुताबिक चूड़धार से नौहराधार में वापसी के दौरान एक के पांव में छाले पड़ गए थे, दूसरे का स्वास्थ्य पैदल चलने की अनुमति नहीं दे रहा था। बता दें कि विक्रम का स्वागत करने कमल व लक्की बनोग पहुंच गए थे।
विक्रम की हैट्रिक….
नाहन से चूड़धार पैदल यात्रा में विक्रम ने इस बार हैट्रिक भी बना ली है। 2022 में पहली बार चूड़धार चोटी पर पैदल जाने का संकल्प लिया था। विक्रम ने कहा कि वो हमेशा ही चूड़धार जाने की सोचा करते थे, लेकिन बार-बार मन में ये सवाल उठता था कि पैदल जाया जा सकता है या नहीं। भोले शंकर की ऐसी कृपा हुई है कि लगातार तीसरी बार पैदल यात्रा करने में सफलता मिली है।
विक्रम ने कहा कि पैदल चलने के दौरान कई कठिनाईयां आती हैं। रास्ते में बारिश व तूफान का सामना तो करना ही पड़ा, साथ ही जंगली जानवरों का भी डर बना रहता है। चुनौतीपूर्ण सफर में हौंसला बुलंद था। ददाहू तक सूरज आग उगल रहा था। लेकिन हम मंजिल की तरफ बढ़ रहे थे। विक्रम ने कहा कि अगर दोस्त स्वस्थ रहते तो वो 19 जून को ही यात्रा को मुकम्मल करने के बाद नाहन पहुंच सकते थे। विक्रम ने बताया कि जब वो चूड़धार चोटी पर पहुंचे तो वहां का तापमान 5 डिग्री रहा होगा, खासी ठंड महसूस हो रही थी।
ये दिया संदेश….
विक्रम का कहना था कि युवाओं को नशे से दूर रहना चाहिए। करनी है तो भोले की भक्ति करो, सब कष्ट मिट जाते हैं। उन्होंने कहा कि फिटनेस भी अपनी तरह का नशा ही है। करना है तो कसरत या फिर खेल का नशा करना। उन्होंने कहा कि नशा युवाओं को तेजी से जकड़ रहा है।