राजगढ़ : चंद माह पहले पूरी सरकार ही पच्छाद में उपचुनाव को लेकर बैठ गई थी। ऐसे वादे किए गए जो अविश्वसनीय लग रहे थे। अब इसी पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र का राजगढ़ उपमंडल 96 घंटे से अंधेरे में डूबा हुआ है, लेकिन लाचार सरकार के पास कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है, जिससे लोगों को राहत मिल सके। स्थिति यह है कि अब लोगों को ही टूटे खंभों व तारों की मरम्मत के लिए जोखिम उठाकर मैदान में उतरना पड़ गया है।
आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि सिरमौर का सबसे प्रगतिशील इलाका राजगढ़ को ही माना जाता है। सोलन व शिमला से इसकी सीमाएं सटी हुई हैं। हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि 90 फ़ीसदी इलाका अंधकार में डूबा हुआ है, लेकिन कोई शीर्ष अधिकारी इसकी गंभीरता को समझने की कोशिश नहीं कर रहा। हाल ही की बर्फबारी ने आपदा प्रबंधन की पोल खोल कर रख दी थी। जयराम सरकार हेली टैक्सी से लेकर ग्लोबल इन्वेस्टमेंट के सपने देख रही है। मगर धरातल पर अपने लोगों को कई-कई दिन तक बिजली देने में असफल हो रही है।
सवाल इस बात पर उठता है कि क्यों युद्ध स्तर पर बिजली की बहाली का कार्य नहीं किया जाता। एक अन्य जानकारी के मुताबिक राजगढ़ उपमंडल में एसडीओ के 3 पद रिक्त हैं, जबकि कनिष्ठ अभियंता के 17 पद खाली पड़े हुए हैं। इसके अलावा अन्य श्रेणियों के लगभग 80 पद रिक्त पड़े हैं।
मौसम विभाग ने 13 जनवरी को फिर से बर्फबारी को लेकर ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। अब लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि ऐसे हालातों में तो कई दिन तक अंधेरे का सामना करना पड़ सकता है। स्थिति यह हो चुकी है कि लोग वाहनों की बैटरी से मोबाइल चार्ज करने पर विवश होने लगे हैं।
उधर संगड़ाह उपमंडल में भी हालत बद से बदतर हो गई है। सवाल इस बात पर भी उठता है कि बिजली बोर्ड हर महीने हर क्षेत्र में कई-कई बार पावर कट कर इस बात की दुहाई देता है कि मेंटेनेंस की जानी है। अब वह मेंटेनेंस कहां है। कुल मिलाकर सरकार अगर युद्ध स्तर पर कोशिश करती है तो ही बिजली आपूर्ति बहाल होने की संभावना है।
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