एमबीएम न्यूज/शिमला
70वें गणतंत्र दिवस पर इस साल देवभूमि को निराशा होगी। राजपथ पर प्रदेश की झांकी के मॉडल को रक्षा मंत्रालय ने खारिज कर दिया है। राजपथ पर झांकी की पेशकश से हिमाचल हैट्रिक बनाने से भी चूक गया है। पांच साल बाद 2017 में चंबा की संस्कृति की झलक दिखाती झांकी को राजपथ की परेड में शामिल किया गया था। इसके बाद 2018 में ‘‘की गोंपा’’ की झांकी को राजपथ पर एंट्री मिली थी। सनद रहे कि लाहौल-स्पीति के काजा से 12 किलोमीटर दूर स्थित मठ की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी।
की गोंपा मठ समुद्रतल से 13,500 फीट की ऊंचाई पर एक चट्टान पर स्थित है। 2012 में किन्नौर की झांकी को परेड में शामिल किया गया था। इस साल संस्कृति विभाग ने महात्मा गांधी की झांकी पर मॉडल स्वीकृति के लिए भेजा था, लेकिन इसे निरस्त कर दिया गया है। आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 10 बार हिमाचल आए थे। आजादी से पहले ब्रिटिश हुकूमत के साथ कई अहम समझौतों को लेकर भी महात्मा गांधी हिमाचल आए, लेकिन रक्षा मंत्रालय को प्रदेश में महात्मा गांधी की स्मृतियों से जुड़ा मॉडल पसंद नहीं आया है। लिहाजा 26 जनवरी को हिमाचल की झांकी देखने का मौका लोगों को नहीं मिलेगा।
मीडिया रिपोर्टस में भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक केके शर्मा ने हिमाचल का मॉडल रिजेक्ट होने की बात को स्वीकार किया है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नत्थू राम गोड़से को दबोचने वाले देवराज ठाकुर का संबंध हिमाचल के नाहन से है।
सवाल इस बात पर…
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाषा एवं संस्कृति विभाग ने मॉडल बनाने के लिए मेहनत की होगी। लेकिन आम लोग इस सवाल का जवाब तलाश कर रहे हैं कि आखिर विगत वर्षों की तरह इस बार भी हिमाचली संस्कृति से जुड़ा मॉडल क्यों नहीं पेश किया गया।
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